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झारखंड में 16 से 20 मई तक कृषि बाजार समितियों में नहीं घुसने दिये जायेंगे खाद्यान्नों के ट्रक

इंट्री पर फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज ने लगाया बैन
झारखंड में 16 से 20 मई तक कृषि बाजार समितियों में नहीं घुसने दिये जायेंगे खाद्यान्नों के ट्रक

न्यूज 11 भारत

रांचीः झारखंड में कृषि उपज पर कृषि शुल्क लागू करने के विरोध में फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज का आंदोलन एक महीने से जारी है. सरकार की तरफ से इस सिलसिले में कोई निर्णय नहीं लिया गया है. राज्य भर के व्यवसायियों ने अब विवश होकर 16 मई से 20 मई तक झारखंड में खाद्यान्न की इंट्री पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया है. राजधानी रांची में खाद्य वस्तुओं की आवक बंद करने के निर्णयों को प्रभावी करने के लिए फेडरेशन चैंबर द्वारा आज पंडरा बाजार में सभी खाद्यान्न व्यवसायियों के साथ बैठक की गई. बैठक में सभी व्यापारियों ने फेडरेशन के निर्णयों का कठोरता से पालन करने की सहमति जताई. 16 मई से प्रदेश के सभी जिलों में खाद्य वस्तुओं की इंट्री बंद करने के लिए चैंबर द्वारा राज्य के सभी जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स, खाद्यान्न व्यवसायी, राइस मिलर्स एवं फ्लावर मिलर्स के साथ भी ऑनलाइन बैठक गयी. 

 

पंडरा बाजार में संपन्न हुई बैठक के दौरान व्यापारियों ने कहा कि हमने कोविड में भी अपने जानमाल की परवाह किये बगैर सरकार और प्रशासन का सहयोग करते हुए राज्य में खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता बनाई थी. वर्तमान में सरकार और ब्यूरोक्रेट्स की हठधर्मिता के कारण हमें खाद्य वस्तुओं की इंट्री बंद करने का निर्णय लेना पड रहा है. कृषि शुल्क से खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढेंगी इसलिए जनता को महंगाई से बचाने के लिए हमें कडे़ निर्णय लेने होंगे. चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि समाचार माध्यम से रोजाना हमें झारखण्ड की वर्तमान हालात का पता चल रहा है. यह सिलसिला लंबा चलनेवाला है जिसमें जैसे-जैसे चीजें आगे बढेंगी इसके मायने और अर्थ निकलते जायेंगे. ब्यूरोक्रेट्स द्वारा जनप्रतिनिधियों को अंधकार में रखकर कई फैसले लिये जा रहे हैं. 

 


 

बैठक के दौरान रांची चैंबर ऑफ कॉमर्स के व्यापारियों ने कहा कि हमें बताया जा रहा है कि कृषि शुल्क से उगाही की जानेवाली राशि का उपयोग इन क्षेत्रों के उत्थान के लिए किया जायेगा. यह देखें तो कृषि विपणन पर्षद् के पास 138 करोड रुपये की फिक्स डिपोजिट उपलब्ध है. बैंकों में और भी फंड होंगे जिसकी सूचना मांगने पर हमें अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया है. यदि इतने फंड से भी बाजार मंडियों की व्यवस्था नहीं सुधारी जा सकी है तब अतिरिक्त फंड की क्या आवश्यकता है. यह फंड सरकार का नहीं है. यह संस्थागत फंड है जिसका उपयोग केवल बाजार मंडियों के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए ही किया जा सकता है. आज कृषि मंडियों की स्थिति दयनीय है. मंडियों में सडक, नाली और दुकान जर्जर अवस्था में हैं.  स्ट्रीट लाईट, सुरक्षा, पेयजल और शौचालय तक उपलब्ध नहीं है.  जबकि मार्केटिंग बोर्ड के पदाधिकारियों का दायित्व बनता है कि वे मंडियों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायें पर व्यापारियों के निरंतर आग्रह के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. चैंबर अध्यक्ष ने कहा कि हम सरकार को निवेदन के साथ चेतावनी भी दे रहे हैं कि जब राज्य में खाद्य वस्तुओं की आवक बंद होगी तो राज्य में माल की उपलब्धता कम हो जायेगी जिससे आनेवाले दिनों में परिस्थितियां विकट होंगी जिसे सरकार को संभाल पाना संभव नहीं होगा. पंडरा बाजार की बैठक में चैंबर के महासचिव राहुल मारू, कार्यकारिणी सदस्य मुकेष अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष अर्जुन प्रसाद जालान, मनोज नरेडी, दीपक कुमार मारू, प्रवीण जैन छाबडा, रांची चैंबर से हरि कनोडिया, संजय महुरी, संतोष सिंह, मदन साहू, रोहित कुमार के अलावा रांची चैंबर ऑफ कॉमर्स, आलू-प्याज थोक विक्रेता संघ, आढती एवं वनोपज संघ, व अन्य व्यापारी उपस्थित थे.

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