न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड सरकार आबकारी नीति में बड़ा बदलाव करने जा रही है. नई नीति छत्तीसगढ़ मॉडल पर आधारित होगी. इस नीति के लागू होने पर झारखंड में शराब सिंडीकेट का खात्मा हो जाएगा. झारखंड में शराब सिंडिकेट की मनकानी समाप्त हो जाएगी. एक बार फिर झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी जेएसबीसीएल को शराब कारोबार पर नियंत्रण हासिल हो जाएगा. सरकार ने इसके लिए एक कंसलटेंट की नियुक्ति की है. जो छत्तीसगढ़ जाकर वहां के आबकारी नीति से संबंधित रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौपेगा. उम्मीद जताई जा रही है कि छत्तीसगढ़ मॉडल से झारखंड में शराब की बिक्री से राजस्व में बढोत्तरी होगी.
झारखंड में साल 2010 में झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी जेएसबीसीएल की स्थापना की गई थी. इसका मकसद शराब के व्यवसाय पर गिने-चुने व्यापारिक संगठनों के एकाधिकार को समाप्त करना और उपभोक्ताओं को उनकी मांग के अनुसार युक्तियुक्त मूल्य पर शुद्ध और गुणवत्ता युक्त शराब उपलब्ध कराना था. इसके जरिए उत्पाद राजस्व में बढ़ोतरी का लक्ष्य भी तय किया गया था. हालांकि बाद में राजस्व में कमी आने का हवाला देकर विभाग ने नियमावली में बदलाव करते हुए निजी कंपनियों और व्यापारियों के लिए दरवाजा खोल दिया. अब एक बार फिर जेएसबीसीएल को सक्रिय करने की तैयारी की जा रही है, ताकि शराब कारोबार के सिंडीकेट को खत्म कर शराब उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाई जा सके और सरकार का राजस्व भी बढ़े.
जाने क्या है छत्तीसगढ़ मॉडल
छत्तीसगढ़ में शराब का कारोबार छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी सीएसएमसीएल के जरिए किया जाता है. छत्तीसगढ़ में शराब की ऑनलाइन डिलेवरी और बार कोड बिलिंग सिस्टम की व्यवस्था है. सीएसएमसीएल के जरिए पूरे छत्तीसगढ़ में शराब की कुल 663 दुकानें संचालित की जाती हैं. इन दुकानों के संचालन और सुरक्षा के लिए मैन पावर और सिक्योरिटी गार्ड्स का काम निजी एजेंसियों को दिया गया है. किसी तरह के नुकसान से बचने के लिए सीएसएमसीएल द्वारा माल का बीमा भी कराया जाता है. यहां शराब के थोक और खुदरा व्यापार पर सरकार का नियंत्रण है और इसमें निजी कंपनियों और व्यापारियों को शामिल नहीं किया जाता है.
शराब सिंडीकेट का कारोबार पर नियंत्रण
झारखंड में फिलहाल शराब का थोक और खुदरा कारोबार निजी हाथों में है. इस कारोबार पर कुछ चुनिंदा कारोबारियों का कब्जा है और वे सिंडीकेट बनाकर अपने फायदे के अनुसार व्यापार को नियंत्रित करते हैं. सिंडीकेट की वजह से राज्य सरकार के खजाने को घाटा हो रहा है. झारखंड में 24 में से 19 जिलों में शराब के थोक व्यापार का जिम्मा गोड्डा, जामताड़ा और दुमका के कारोबारियों के पास है. कारोबारियों की तरफ से दिए गए बैंक अकाउंट डिटेल्स के अनुसार ज्यादातर कारोबारियों का कनेक्शन संथाल परगना से है. ऐसे में एक सिंडीकेट ने पूरे कारोबार पर कब्जा जमा लिया. इसके चलते सरकार के खजाने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
सीएम को भेजी गई थी फाइल, छत्तीसगढ भेजी गई थी टीम
झारखंड में शराब सिंडीकेट के खात्मे के लिए झारखंड सरकार की ओर से गठित उच्चस्तरीय समिति ने छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार का अध्ययन कर रिपोर्ट सौंप दी है. मुख्य सचिव के माध्यम से यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भेजी थी. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार की अध्यक्षता में पिछले दिनों चार सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति को छत्तीसगढ़ भेजा गया था. समिति ने छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड की ओर से किए जा रहे शराब के थोक और खुदरा व्यापार का अध्ययन कर रिपोर्ट बनाई है. शराब दुकानों के संचालन से पिछले वर्ष सीएसएमसीएल ने लगभग 4600 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया था.