हाईकोर्ट में लंबित मामले की होगी सुनवाई, 13 मई के आदेश को स्थगित करने पर नहीं दे सकते फैसला
न्यूज11 भारत
रांची: देश की शीर्ष अदालत ने झारखंड सरकार की ओर से शिवशंकर शर्मा के द्वारा दर्ज की गयी याचिका को खारिज करने के मामले में फैसला दे दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट में ही लंबित मामले की सुनवाई होगी. इससे पहले कोर्ट यह तय करेगा कि शिव शंकर शर्मा और मनरेगा घोटाले से संबंधित याचिका मेंटेनेबल है अथवा नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा रिट याचिका 3632 ऑफ 2019, 4290 ऑफ 2021 और 727 ऑफ 2022 के जरिये मुख्यमंत्री और सोरेन परिवार पर कार्रवाई की मांग की गयी है. शीर्ष अदालत ने कहा कि आज की तिथि में एसएलपी के जरिये हाईकोर्ट में दायर याचिका के मेंटेनेबिलिटी मामले को नहीं सुना नहीं जा सकता है. न ही शीर्ष अदालत किसी तरह के वाद-विवाद, आरोपों पर किसा का पक्ष रख सकता है. यह मामला पूरी तरह झारखंड हाईकोर्ट के विचाराधीन है. इसलिए हाईकोर्ट में ही लंबित मामले पर ही सुनवाई होगी.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अदालत ने कहा कि 22 मई को शीर्ष अदालत के डिविजन बेंच में मामला प्रस्तुत किया गया, जिसमें झारखंड सरकार का पक्ष रख रहे वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस तरह का एक मामला पहले सुप्रीम कोर्ट में खारिज किया जा चुका है. उस समय खारिज की गयी याचिका के विरुद्ध दायर एसएलपी को भी डिसमिस कर दिया गया था. 13 मई 2022 को झारखंड हाईकोर्ट ने इसी मामले की सुनवाई के बाद कंपनी रजिस्ट्रार से जवाब दाखिल करने को कहा. अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि 4218 ऑफ 2013 संबंधी याचिका के दस्तावेज 13 मई को प्रस्तुत किये गये. उस समय भी झारखंड सरकार की तरफ से शिव शंकर शर्मा की याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सवाल खड़े किये गये थे. कपिल सिब्बल ने प्रारंभिक ऑब्जेक्शन दायर कर वैधता पर सवाल उठाया था, इसमें यह भी कहा गया था कि अगली सुनवाई तक मामले की मेरिट को भी देखा जाये.
झारखंड हाईकोर्ट की साइट पर 13 मई की प्रोसीडिंग 17 मई को अपलोड की गयी. यह तब हुआ जब प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से सीलबंद लिफाफे में मनरेगा घोटाले के संबंध में जानकारी दी गयी. 19 मई को फिर हाईकोर्ट में तीनों मामले पर सुनवाई की गयी. हाईकोर्ट ने सुनवाई स्थगित करते हुए 24 मई की तारीख मुकर्रर की. इससे पहले शीर्ष अदालत में राज्य सरकार की तरफ से एसएलपी दायर किया गया, जिसमंई 13 मई औऱ् 17 मई के आदेशों को चुनौति दी गयी. शीर्ष अदालत ने कहा कि हमने सरकार का पक्ष रख रहे अधिवक्ता कपिल सिब्बल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पक्ष रख रहे अधिवक्ता मुकूल रोहतगी और सीबीआइ तथा ईडी का पक्ष रख रहे सोलीसिटर जनरल ने अपना पक्ष रखा. शीर्ष अदालत ने संबंधित पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि हाईकोर्ट में कहा कि 13 मई 2022 को रिट याचिका शेल कंपनियों के मामले में दायर यातिका की वैधता और मेरिट पर सुनवाई की जायेगी. वह भी अगली सुनवाई की तिथि को. इस पर वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट ने जनहित याचिका (पीआइएल) नियमावली 2010 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं हो रहा है, जो 4, 3 ए, 4 बी और पांच में सन्निहित हैं. झारखंड हाईकोर्ट ने पहले ही 13 मई के आदेश के आधार पर जनहित याचिका के मेंटेनेबिलिटी की बातें कही है. मुख्य न्यायाधीश खुद इस मामले की मेरिट को देख रहे हैं. इतना ही नहीं यह भी कहा गया कि हाईकोर्ट अगली तिथि को जनहित याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई करेगा. इसके बाद जो भी कानूनी प्रावधान होंगे, उस पर याचिका की सुनवाई होगी.