न्यूज 11, भारत
किरिबुरू : पश्चिमी सिंहभूम जिले का निजी लौह अयस्क माइंस अनिल ख़िरवाल एंड कंपनी का माइनिंग लीज रविवार एक मई से समाप्त हो गया. लीज की अवधि 30 अप्रैल 2022 तक ही थी, जो समाप्त हो गयी. रविवार से इस खदान पर माइनिंग गतिविधियां थम जायेगी. जिले के 39 लौह अयस्क खनन पट्टों में से अब टाटा समूह और भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) की खदानें ही चालू रहेंगी. टाटा समूह का खदान नोवामुंडी में है, जबकि सेल की खदानें चिरिया, घाटकुरी, किरिबुरू में हैं. अब जिले में केवल टाटा और सेल की ही खदानें चालू रहेंगी. पश्चिमी सिंहभूम जिला में 31 मार्च 2020 को अनिल ख़िरवाल माइंस को छोड़कर सभी नन कैपटिव माइंस की लीज पहले ही समाप्त हो चुकी थी काफी कोशिशों के बाद पहले अजीतापुर आयरन और ब्लॉक और फिर घाटकुरी एक व घाटकुरी दो आयरन और ब्लॉक की इलेक्ट्रॉनिक नीलामी की प्रयास सरकार ने किया मगर अभी तक किसी तरह की सफलता इसमें नहीं मिली है, किसी ना किसी वजह से नीलामी स्थगित करनी पड़ी है.
जानकारी के अनुसार झारखंड में देबुका भाई बेल्जी के नाम पर आवंटित अजीताबुरू खदान की लीज 31 मार्च 2020 को रद्द हो चुकी है. 31 मार्च 2020 को 41 में से अधिकतर लीज समाप्त हो गयी थीं, जिसमें घाटकुरी, चिरिया, बड़ाजामदा, राजाबेड़ा, ठाकुरानी, कंवलजीत सिंह आहलुवालिया का माइंस और रूंगटा माइंस लिमिटेड के खनन पट्टे को रद्द कर दिया था. सरकार की तरफ से कहा गया था कि झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) की मदद से राज्य सरकार घाटकुरी और सारंडा वन क्षेत्र के लौह अयस्क खदानों की ट्रेडिंग करेगी. इसको लेकर निविदा भी आमंत्रित की गयी थी. ये माइंस सेल और टाटा के माइंस से अलग हैं. इन दोनों कंपनियों के चाईबासा में चार माइंस हैं.