खान आवंटन, शेल कंपनी मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने की टिप्पणी
न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड हाईकोर्ट की एक टिप्पणी काफी चर्चित हो रही है. हाईकोर्ट ने रांची के उपायुक्त छवि रंजन पर यह कहा कि उन्होंने कैसे खान आवंटन मामले में हलफनामा दायर किया है, जबकि वे खुद एक मामले में चार्जशीटेड हैं और जमानत पर हैं.
न्यूज11 भारत ने इस पर यह जानने की कोशिश की कि आखिर यह बात कहां से आयी. पता चला कि विशेष निगरानी कोर्ट के न्यायाधीश ए दुबे की अदालत में निगरानी कांड संख्या 1 ऑफ 2016 दर्ज है. इसमें कोडरमा के डीसी रहे छवि रंजन पर आरोप पत्र गठित है. झारखंड राज्य बनाम छवि रंजन मामले में (निगरानी केस संख्या 76 ऑफ 2015) के निगरानी कोर्ट ने दस्तावेज भी मंगाये हैं. रांची डीसी पर आरोप है कि वे जब कोडरमा में उपायुक्त थे, तब सरकारी परिसर से पांच सागवान के पेड़, एक शीशम का पेड़ अवैध रूप से कटवाया था, जिसकी कीमत 22 लाख से अधिक थी. इसके बाद डीसी रहे छवि रंजन पर मरकच्चो थाने में पीएस केस संख्या 83 ऑफ 2015 दर्ज की गयी थी. कुछ दिनों के बाद हजारीबाग जिले में एसीबी ने भी सीआरपीसी की धारा 41 ए के तहत नोटिस जारी किया गया.
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बाद में इस मामले को एसीबी के रांची मुख्यालय में रेफर कर दिया गया. पूर्ववर्ती सीएम रघुवर दास के निरेदेश पर आईएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था. इसके लिए उन्हें जांच के लिए कोडरमा भेजी गयी थी. एसीबी के डीआइजी एमआर मीणा ने इसकी जांच की. उन्होंने कहा कि पहली नजर में डीसी रहे छवि रंजन दोषी हैं. इनके खिलाफ आइपीसी की धारा 379, 34, 120 बी, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 (1), डी और भारतीय वन अधिनियम की धारा 33 ऑफ 41 के तहत मामला दर्ज किया गया. इसके बाद ही डीसी छवि रंजन ने गिरफ्तारी की संभावना को देखते हुए झारखंड हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ली और पांच साल से जमानत पर हैं.