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रांचीः झारखंड में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति 2008 में के बाद की जा रही है. 2018 में फिर स्थायी वैकेंसी को लेकर विज्ञापन निकाला गया, विषयों के आधार पर सफल उम्मीदवारों का चयन किया जा रहा है. झारखंड लोक सेवा आयोग की तरफ से अभी भी विषयों से संबंधित सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है. फिलहाल वनस्पति शास्त्र और भौतिकी विभाग के कोर्स के लिए नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है.
झारखंड में यूनिवर्सिटी में सहायक प्राध्यापक के 552 रिक्त पदों को भरा जा रहा है. जेपीएससी ने फरवरी 2022 से शुरू की है. भर्ती की यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण 15 जनवरी 2019 से रुकी थी. हालांकि बैकलॉग नियुक्तियां जारी हैं. आयोग द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया संताली विषय में 11 पदों के लिए 26 फरवरी को शुरू हुई थी. 552 पदों के लिए आयोग के पास लगभग साढ़े 12 हजार आवेदन आये थे.
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आयोग द्वारा जारी सूचना के मुताबिक, कोटिवार रिक्ति के लिए चार गुना अभ्यर्थियों का औपबंधिक रूप से आवंटित अंक एवं कोटिवार कट ऑफ मार्क्स को प्रकाशित किया गया था. आवेदन पत्र में किसी अभ्यर्थी ने कट ऑफ मार्क्स से अधिक या बराबर अंक का दावा किया है, लेकिन उनका अंक प्रकाशित नहीं किया जाता है, तो वे भी आपत्ति जमा कर सकते हैं.
झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा 1,118 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति की जा रही है. इसमें 552 नियमित और 566 बैकलॉग के पद है. हालांकि 2008 में जब 800 असिस्टेंट प्रोफसर की बहाली हुई थी, तब कई सारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ था. बाद में एक जांच कमिटी का गठन कर जांच का जिम्मा भी दिया गया था लेकिन रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आयी है. अब जबकि एक दशक बाद बहाली प्रक्रिया फिर से शुरू हुई है, कई सवाल खड़े हो गये हैं. सबसे बड़ा सवाल तो यही कि विभिन्न वोकेशनल कोर्सों के लिए पदों का सृजन ही नहीं किया गया है.
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अतिथि शिक्षकों के भरोसे वोकेशनल कोर्सेज
गौरतलब है कि यह बहाली 1980 में सृजित पदों के अनुसार ही होगी. जबकि पिछले 10 सालों में झारखंड की शिक्षा में काफी बदलाव आया है. इस दौरान राज्य में तकनीकी शिक्षा के तहत कई सारे कोर्स आये, जैसे एमबीए, बीबीए, एमसीए, बीसीए, बायोटेक, एमजेएमसी और बीजेएमसी आदि वोकेशनल कोर्स राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में स्थापित हो चुके हैं. इन कोर्सेज में सबसे अधिक नामांकन होते हैं. कई विश्वविद्यालयों के वोकेशनल कोर्सेज की तो राष्ट्रीय स्तर की पहचान भी है, बावजूद यहां वर्तमान में भी इन विषयों के शिक्षक अनुबंध पर ही रखे जाते हैं, क्योंकि झारखंड में इन कोर्सेज के लिए शिक्षकों का पद ही सृजित नहीं है.