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रांचीः कहा जाता है पढ़ाई करने की कोई उम्र नहीं होती. और...अगर आप में पढ़ाई करने का जज्बा हो तो आप किसी भी हाल और कहीं भी पढ़ाई कर सकते है. पढ़ाई के मामलों में अगर सरकारी स्कूलों की बात की जाए तो..इन स्कूलों की बदलहाल स्थिति अक्सर सुर्खियों में आती रहती है. इसी बीच अब एक सरकारी स्कूल भी काफी फेमस हो रहा है. लेकिन यह स्कूल अपने बदहाल स्थिति को लेकर नहीं बल्कि अपने अच्छे कामों को लेकर सुर्खियों में छाई हुई है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र में यह स्कूल मौजूद है जो पिछले दो सालों से (कोरोना काल के समय से) सिर्फ एक बच्चे के लिए ही खुलता है. यहां सिर्फ एक ही विद्यार्थी पढ़ाई करने आता है. और कमाल की बात तो यह है कि इस स्कूल में विद्यार्थी को पढ़ाने के लिए भी एक ही शिक्षक (Teacher) है. यह खबर हर एक विद्यार्थी और शिक्षकों के लिए प्रेरणादायी साबित हो सकता है.
12 किमी की दूरी तय कर आते है टीचर
बता दें, यह स्कूल महाराष्ट्र के वाशिम जिले के गणेशपुर गांव में है. जिसका नाम जिला परिषद प्राथमिक मराठी शाला है. इसमें सिर्फ एक ही बच्चे का एडमिशन हुआ है जो पिछले दो सालों से लगातार स्कूल आ रहा है. जिला परिषद् प्राथमिक मराठी शाला में पढ़ने वाले इस विद्यार्थी का नाम कार्तिक शिगाओकर है जो तीसरी कक्षा का स्टूडेंट है. इतना ही नहीं कार्तिक को पढ़ाने के लिए किशोर मानकर नाम के शिक्षक रोज दिन करीब 12 किमी की दूरी तय करके स्कूल आते हैं. और वे कार्तिक को सभी विषय पढ़ाते हैं
कार्तिक के लिए प्रतिदिन मिड-डे-मील की व्यवस्था
स्कूल में भले एक ही विद्यार्थी पढ़ाई करने और शिक्षक पढ़ाने को आता हो. लेकिन नियम बाकी स्कूलों की तरह ही कड़ी है. स्कूल के पढ़ाई-लिखाई और अन्य एक्टिविटीज़ में कोई भी लापरवाही नहीं बरती जाती हैं. शिक्षक किशोर और विद्यार्थी कार्तिक रोजाना सुबह क्लास की शुरुआत के पहले प्रार्थना करते हैं, राष्ट्रगान भी गाते हैं और फिर उसके बाद पढ़ाई शुरू करते हैं. स्कूल में कार्तिक के लिए हर रोज मिड डे मील की व्यवस्था भी की जाती है.