सीआरपीएफ के 52 बैंच के असिटेंट कमांडेंट की अरगोड़ा थाना में हुई ट्रेनिंग,सभी कर रहे हैं गुड़गांव में ट्रेनिंग
न्यूज 11 भारत, रांची
प्रिंस श्रीवास्तव
रांची: राजधानी के अरगोड़ा थाना में मंगलवार को सीआरपीएफ के 29 असिटेंट कमांडेंट के अरगोड़ा थाना में ट्रेनिंग दी गई. सभी को जंगल में नक्सलियों से मुठभेड़ से लेकर एफआईआर और गवाही तक की बारीकियां सिखाई गई. अरगोड़ा थाना में थानेदार विनोद कुमार ने दो घंटे तक ट्रेनिंग देने के बाद उन्हें थाना के काम के बारे में भी जानकारियां दी. नक्सलियों के बारे में जानकारी लेने वाले असिटेंट कमांडेंट को बताया कि अभियान में जिला पुलिस का साथ मिलता है. इस वजह से दोनों कंपनी में सभी बातें स्पष्ट होनी चाहिए. मुठभेड़ के दौरान क्या-क्या सावाधानी बरतनी चाहिए इसकी जानकारी दी गई. झारखंड के किन-किन जिलों में नक्सली सक्रिय हैं यह भी बताया गया. मुठभेड़ खत्म होने के बाद किस प्रकार प्राथमिकी दर्ज की जाती है,कैसे घटना क्रम लिखा जाता है यह बताया गया. इसके अलावा कोर्ट में गवाही देने की प्रक्रिया बताई गई. 29 असिटेंट कंमाडेंट के साथ सीआपीएफ के तीन बड़े अधिकारी में शामिल थे.
52 बैच के थे सभी असिटेंड कंमाडेंट,गुड़गांव में चल रही है ट्रेनिंग
रांची आने वाले सभी असिटेंट कंमाडेंट सीआरपीएफ के 52 बैच के हैं. सभी का गुड़गांव में ट्रेनिंग चल रहा है. रांची में वह सीआरपीएफ कैंप में रूके हुए हैं. सभी को नक्सल की ट्रेनिंग दी जानी थी. इस वजह से उन्हें धुर्वा लाया गया था. राजधानी में आने के बाद अरगोड़ा थाना प्रभारी विनोद कुमार को उन्हें सीखाने की जिम्मेवारी दी गई.
सरेंडर पॉलिसी के बार में बताया गया
अरगोड़ा थाना प्रभारी के द्वारा सभी असिटेंट कमांडेंट को झारखंड में नक्सलियों के द्वारा सरेंडर पॉलिसी के बारे में बताया गया. सरेंडर करने के बाद नक्सलियों के क्या-क्या लाभ मिलता है और ओपन जेल में उन्हें किस प्रकार रखा जाता है सभी बातों को बताया गया. मुख्य धारा से जुड़कर कैसे सरेंडर करने वाले नक्सली अब अपना जीवन चला रहे हैं उन्हें इसकी जानकारी दी गई.
ट्रेनिंग पूरी होने के बाद संतुष्ट दिखे असिटेंट कंमाडेंट
अरगोड़ा थाना में ट्रेनिंग लेने के बाद सभी असिटेंट कंमाडेंट ने कहा कि जिस प्रकार थाना में आकर उन्हें जानकारियां मिली वह कहीं नहीं मिलती. थाना में उन्हें बताया गया कि कैसे तकनीकि मदद से नक्सलियों के बारे में जानकारियां ली जाती है. इसके बाद उनके खिलाफ कैसे प्लानिंग की जाती और फिर कार्रवाई की जाती है.
हर बड़े अभियान में पुलिस और सीआरपीएफ के जवान साथ होते हैं
झारखंड समेत दूसरे राज्यों में भी नक्सलियों के खिलाफ चलाने वाले हर बड़े अभियान में पुलिस और सीआरपीएफ के जवान एक साथ होते हैं. इस वजह से उन्हें एक दूसरे की बात को समझना काफी जरुरी है. ट्रेनिंग लेने आए असिटेंट कंमाडेंट को एक करोड़ रुपये की इनामी प्रशांत बोस समेत सभी गिरफ्तर होने वाले नक्सलियों के बारे में जानकारियों दी गई.