आसिफ नईम/न्यूज 11 भारत
रांची: खेलगांव में चल रहे खेल एकेडमी के मिशन ओलिंपिक प्रोग्राम पर ग्रहण लगा हुआ है. एकेडमी में मिशन ओलिंपिक के तहत तैयार किए जा रहे 350 में से 200 खिलाड़ी दो साल से घर पर रहने को मजबूर हैं. कोविड-19 की पहली लहर आने के बाद 350 बालक-बालिका खिलाड़ियों को घर भेज दिया गया था. कोरोना की रफ्तार कम होने के बाद कुछ खिलाड़ियों को बुलाकर प्रैक्टिस शुरू कराया गया. अभी 150 खिलाड़ी खेलगांव में बने विभिन्न स्टेडियमों में ट्रेनिंग ले रहे हैं. बाकि बचे खिलाड़ियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा था. हालांकि गांव-देहात के कई बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं होने के कारण ऑनलाइन प्रशिक्षण नहीं ले पा रहे. अधिकारी कह रहे की कोरोना को लेकर एक साथ इतने सारे बच्चों को एक साथ प्रैक्टिस कराना संभव नहीं है. इसलिए राष्ट्रीय स्तर के मैच खेल चुके बच्चों को ही एकेडमी में रखा गया है. घर बैठे हुए बच्चों को खाने को लेकर 3 हजार व स्टाइपेंड के 500 रुपए दिए जाते हैं.
प्रैक्टिस नहीं होन से बच्चों के खेल पर पड़ रहा प्रभाव
2 साल से 200 से अधिक बच्चों के ग्राउंड में प्रैक्टिसन नहीं करने पर उनके खेल पर खासा प्रभाव पड़ रहा है. प्रशिक्षकों के द्वारा ऑनलाइन प्रशिक्षण बस एक खानापूर्ती है. इनमें भी कई बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं है. जिसके चलते ये ऑनलाइन ट्रेनिंग का भी लाभ नहीं उठा रहे. अब ये सभी बच्चे फिर से मैदान में आकर खेलेंगे तो प्रशिक्षकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. वहीं, कई बच्चों के अभिभावकों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि बच्चों के घर पर रहने से खेल पर बहुत ज्यादा असर पड़ रहा है. अब ऐसा लग रहा की वे खेल जानते हीं नहीं है. सरकार को चाहिए कि बच्चों को जल्द से जल्द एकेडमी में बुलाकर प्रैक्टिस शुरू करा दे.
सरकार और सीसीएल के सहयोग से चल रहा एकेडमी
2015 में सरकार और सीसीएल के बीच खेल एकेडमी को लेकर एमओयू हुआ। एकेडमी को चलाने को लेकर झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएसपीएस) का गठन किया गया। अभी 10 खेल एथलेटिक्स, फुटबॉल, कुश्ती, ताइक्वांडो, बॉक्सिंग, आर्चरी, वेट लिफ्टिंग, साइकिलिंग व स्वीमिंग पर खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं.