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रांची: बाबा बर्फानी ने भक्तों को दर्शन देना बंद कर दिया है. अभी अमरनाथ यात्रा के 20 दिन बाकी हैं. लगता है बाबा अपने भक्तों से रूठ गये हैं. समय से लगभग 21 दिन पहले बाबा बर्फानी अंतर्धान हो गये हैं. अमरनाथ गुफा का हिमलिंग यात्रा से तीन सप्ताह पहले ही पूरी तरह पिघल चुका है. जो लोग अभी बाबा के दर्शन नहीं कर पाये हैं, वो निराश हो गये हैं.
अब तक 2.10 लाख श्रद्धालु औऱ् भक्तों ने बाबा बर्फानी का दर्शन किया है. अमरनाथ गुफा की वार्षिक तीर्थ यात्रा 29 जून से शुरू हुई थी, जो सात अगस्त तक चलेगी. शिवभक्त बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा में बने प्राकृतिक शिवलिंग के पिघलने से निराश हो गये हैं. समुद्र तल से 3880 फीट की ऊंचाई कारण पानी की टपकती बूंदों से 10 से 20 फीट का लंबा शिवलिंग बन जाता है. बताया जाता है कि चंद्रमा के घटने और बढ़ने के साथ-साथ बर्फ से बने शिवलिंग का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है. लेकिन इस साल यात्रा खत्म होने से पहले ही बाबा बर्फानी का शिवलिंग पूरी तरह पिघल गया है.
पवित्र गुफा में जिस शिवलिंग का आकार कई फुट का हुआ करता था, वह बिल्कुल पिछल गया है. हर-हर महादेव के जयघोष के साथ बड़े ही उल्लास के साथ शुरू हुई थी अमरनाथ यात्रा, लेकिन यात्रा के 15 दिन बाद अचानक 15 फीट का शिवलिंग रहस्यमयी ढंग से छोटा हो गया है. 14 जुलाई को बाबा बर्फानी का आकार महज कुछ इंच का हो गया था. मान्यताओं के मुताबिक अमरनाथ में साक्षात शिव औऱ माता पार्वती का वास है. कहते हैं लाखों भक्तों को दर्शन देने के लिए शिव और शक्ति की मौजूदगी से ही हर साल यहां अपने आप बर्फ की मूरत में महादेव स्वत: प्रकट होते हैं. पहले भक्तों को 55 दिनों तक दर्शन देकर महादेव अंतर्धान हो जाते थे. लेकिन अब केदारनाथ की तरह अमरनाथ में भी भगवान शिव ने भक्तों से मुंह मोड़ लिया है. महीने भर में बाबा बर्फानी का आकार घट कर नौ फुट हो गया और अब यह महज दो इंच का रह गया है.
मंगलवार सुबह बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पवित्र गुफा पहुंचे अमरनाथ यात्रियों ने कहा कि हिम शिवलिंग पूरी तरह अंतर्धान हो गया है. पवित्र गुफा पर तैनात एक सुरक्षा अधिकारी और गुफा क्षेत्र में भंडारा लगानेवाले व्यक्ति ने भी इसकी पुष्टि की है. गुफा में क्षमता से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने से हिमलिंग को नुकसान पहुंचा है क्योंकि लाखों भक्तों की गर्म सांसों को हिमलिंग सहन नहीं कर पाया.
श्राइन बोर्ड के अधिकारी अप्रत्यक्ष तौर पर भक्तों की सांसों की थ्योरी को मानते हैं, पर प्रत्यक्ष तौर पर वे इसे कुदरती प्रक्रिया कह रहे हैं. ग्लोबल वार्मिंग का इसे असर भी माना जा रहा है. 1996 के अमरनाथ हादसे के बाद नीतिन सेन गुप्ता कमेटी की सिफारिश के बाद 75 हजार यात्रियों को ही यात्रा में शामिल होने की सिफारिश की गयी थी. पर ऐसा नहीं हो पाया. पिछले वर्ष सिर्फ दो दिनों में ही बाबा बर्फानी के 75 हजार लोगों ने दर्शन किये थे. इस बार 19 दिनों में 2.10 लाख श्रद्धालु गुफा तक पहुंचे हैं.