व्हाट्सऐप ने अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को जैसे ही लागू करने के बात कही, वैसे ही सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बन गयी. टेस्ला प्रमुख के एक ट्वीट के बाद व्हाट्सएप डैमेज कंट्रोल मोड में आ गई. कंपनी को कई राउंड की सफाई के बाद आज देश के प्रमुख अखबारों में विज्ञापन तक देना पड़ गया.
व्हाट्सऐप ने हाल ही में एक पॉलिसी में बदलाव किया था. व्हाट्सऐप ने इस बदलाव के तहत फेसबुक के डेटा कलेक्शन के लिए ग्राहकों को दिए जाने वाले "ऑप्ट आउट" के विकल्प को हटा दिया. यानी, अब व्हाट्सएप यूज़र्स के पास ये विकल्प नहीं बचा की वो फेसबुक के साथ डेटा शेयर करना चाहते हैं या नहीं. यूज़र्स ने इसका मतलब तुरंत निकाल लिए की उनका डेटा फेसबुक के साथ शेयर किया जाएगा. यहीं से पूरा विवाद शुरू हो गया. इसके बाद व्हाट्सएप ने अपना पक्ष सामने रखते हुए कहा कि यह प्राइवेसी सेटिंग सिर्फ बिजनेस ग्राहकों के लिए है.
आमतौर पर जो व्हाट्सएप आप और हम इस्तेमाल करते हैं उस पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. साथ ही साथ व्हाट्सएप ने यह भी साफ किया कि आपके और हमारे कोई भी मैसेज नहीं पढ़े जा सकते हैं क्योंकि यह सभी एंड टू एंड एनक्रिप्टेड हैं. लेकिन जानकार अब व्हाट्सएप की सफाई पर भी सवाल उठा रहे हैं.
दरअसल, व्हाट्सऐप ने जो प्राइवेसी पालिसी में बदलाव किया था, उसके जरिये अपनी दूसरी कंपनियों फेसबुक और इंस्टाग्राम पर टारगेट एडवरटाइजमेंट को बढ़ाने की मंशा थी. लेकिन, अब इस पूरे मसले पर व्हाट्सऐप घिरता हुआ नजर आ रही है.
व्हाट्सऐप के इस पूरे विवाद के चलते जहां एक तरफ टेलीग्राम और सिग्नल जैसे मैसेजिंग प्लेटफार्म पर यूज़र्स की संख्या बेहद तेजी के साथ बढ़ रही है. वहीं, दूसरी तरफ ये भी हकीकत है कि व्हाट्सऐप यूज़र्स की निर्भरता व्हाट्सऐप पर इतनी बढ़ चुकी है कि वो इसे बड़े पैमाने पर डिलीट नहीं कर पा रहे हैं.