कृपा शंकर/न्यूज़11 भारत
बोकारो/डेस्क: बोकारो रेलवे क्षेत्र का एक हिस्सा इन दिनों रेलवे कम कोलियरी अधिक लग रहा है. सीक लाइन से गुड्स शेड तक का रेलवे क्षेत्र कोयला डस्ट का ढेर पहाड़ का रुप ले लिया है. कमाई बढ़ाने के लिए कोयले का ट्रांसपोर्ट शुरू करने वाला रेलवे, बोकारो रेलवे क्षेत्र के लिए परेशानी का सबब बनने लगा है. परेशानी ये है कि बोकारो रेलवे को कमाई दिलाने के लिए डंप किया जाने वाला कोयला, रेलवे स्टेशन आसपास क्षेत्र के लिए पानी निकासी के स्थल का एक बड़ा हिस्सा निगल गया है. इसका असर बारिश का मौसम आते ही दिखने की प्रबल संभावना है.
डंप होता रहा कोयले का डस्ट देखते रहे जिम्मेदार कर्मी
बोकारो रेलवे सीक लाइन के समीप से रेलवे का नाला निकला है. इसी नाले से स्टेशन परिसर का पानी निकल कर, सीक लाइन के रास्ते बहाया जाता है. लेकिन कोयला डंपिंग के कारण ये नाला अब जाम होने के कगार पर पहुंच गया है. प्रश्न ये है कि जिन लोगों को डंपिंग ग्राउंड की जिम्मेदारी दी गई थी, क्या उन कर्मियों ने अपने जवाबदेही को ताक पर रखकर, ये सब होने दिया. अगर जवाब हां है तो क्या? अब जब ये मामला स्थानीय अधिकारी के संज्ञान में आ गया है, इस नाले के मार्ग को खाली करने का मार्ग नहीं मिल रहा है. इतनी भारी मात्रा में कोयले का डस्ट डंप हो चुका है कि इसे हटाने के लिए लंबे समय तक मशक्कत करनी होगी. उसके लिए भी आद्रा मंडल अधिकारियों का हस्तक्षेप की जरूरत है. स्थानीय स्तर पर अब इसे सुधार पाना मुमकिन नहीं है.
आखिर किसने रोका या किसने नहीं सुनी बात
जब आप स्थल का जायजा लेने पहुंचेंगे तो आपको यकीन हो जाएगा की नाले का रास्ता एक दिन में तो नहीं रुका होगा. कई महीनों की मेहनत के बाद इस कारनामे को अंजाम दिया गया है. तो क्या डंप करने वाली पार्टी मनमाने तरीके से ये काम कर रही थी? क्या उसे इस कार्य के लिए जवाबदेह कर्मियों ने रोका? क्या जवाबदेह कर्मियों की बात अनसुनी कर कंपनी डंप करती गई? या कंपनी मनमाने ढंग से काम करती रही और उसे किसी ने रोकना मुनासिब नहीं समझा? अगर रोक-टोक नहीं किया गया तो इसके पीछे की क्या कहानी रही होगी?
बारिश आते ही स्टेशन के ट्रैक व परिसर पर जलजमाव का असर संभव
इस नाले को समय रहते रास्ता नहीं मिला तो बोकारो रेलवे स्टेशन परिसर सहित रेलवे ट्रैक पर असर पड़ सकता है. जल निकासी के अभाव में जलजमाव होने की संभावना बढ़ गई है. ऐसे में रेलवे महकमा के हाथ पांव फूलने लगा है. डर सताने लगा है. अब करे तो क्या करें. एक ओर पूरे क्षेत्र में पहाड़ जो खड़ा हो गया है.