धनबाद : धनबाद की सड़कों पर आज अजीब सा नज़ारा देखने को मिला. जिले में चलने वाले प्राइवेट कोचिंग सेंटर के संचालक और उसमें पढ़ानेवाले शिक्षक सड़कों पर फल और सब्जी बेचते नज़र आये. जो शिक्षक कभी छात्रों को अपने कोचिंग संस्थानों में पढ़ाकर उनका भविष्य निर्माण करते थे वो आज शहर के रणधीर वर्मा चौक के समीप ठेले पर सब्जी और फल बेचते नज़र आये. कोई शिक्षक गन्ने का जूस निकालते भी दिखे.
वैश्विक महामारी कोरोना में पिछले कई महीनो से बंद पड़े कोचिंग सेंटर को लेकर प्राइवेट कोचिंग संचालकों ने आज रणधीर वर्मा चौक के समीप सब्जी व फल बेच कर सरकार की नीतियों का विरोध किया. साथ ही कोचिंग सेंटर को खोलने की मांग की. इस दौरान तख्तियों पर साफ-साफ लिखा कि हमें सुशांत सिंह राजपूत बनने पर मजबूर न किया जाए. उनका कहना था कि लम्बे समय से जारी लॉक डाउन की वजह से कोचिंग सेंटर बंद है. इस कारण जिले भर के कोचिंग सेंटर संचालकों और उसमे पढ़ाने वाले शिक्षकों के सामने भुखमरी की स्तिथि उत्पन्न हो गयी है. उनका कहना है कि शराब की दुकाने खुल गयी है. कोर्ट, इलेक्ट्रॉनिक, हाट बाजार खुल सकते है, तो हमारे कोचिंग सेंटर को खोलने की अनुमति क्यों नहीं मिल रही है. हम देश का भविष्य बनाते हैं, लेकिन आज हम अपनी ही पहचान के मोहताज़ है. इसलिए आज हम सब्जी बेचने पर मजबूर हो गए हैं. जीवन यापन के लिए कुछ तो करना है. हम भी सरकार को टैक्स देते हैं फिर हमारे साथ ही ऐसा वर्ताव क्यों? सुशांत सिंह राजपूत बनने के लिए हमें मजबूर न किया जाये.
वहीं शिक्षकों और संचालकों ने कहा कि अगर सरकार हमें भी अपने कोचिंग सेंटर खोलने की अनुमति देती है तो अन्य प्रतिष्ठानों की तरह हम भी सरकार के सभी दिशा निर्देश का पालन करेंगे. सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए कम बच्चों को बैठा कर पढाएंगें, सैनिटाइजर और मास्क का प्रयोग करेंगे. सरकार चाहे तो सीसीटीवी कैमरा भी लगा दें, कभी भी कोई अधिकारी आकर निरीक्षण कर सकते है.