न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः स्ट्रोक एक न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम है, जिसे ब्रेन अटैक के नाम से भी जाना जाता है. देखा जाए आज के समय में स्ट्रोक बहुत आम समस्या है. हर साल स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है. आश्चर्य की बात नहीं है कि आने वाले समय में यह बीमारी खतरनाक रूप ले लेगी.
न्यूरोसर्जन डॉ. विकास के अनुसार, स्ट्रोक भारत में मौत का दूसरा बड़ा कारण है. आमतौर पर स्ट्रोक दो तरह के होता है. पहला ब्लड क्लॉट (इस्केमिक स्ट्रोक) और दूसरे हैमरेज. ब्लड क्लॉट में ब्रेन में क्लॉटिंग हो जाती है और दूसरे में ब्रेन में हेमरेज हो जाता है.
जैसे-जैसे मरीज स्ट्रोक के लक्षणों के साथ गुजर रहा होता है, हर 1 मिनट में उसके 19 लाख न्यूरॉन्स नष्ट होते हैं. इसलिए स्ट्रोक के लक्षणों का अनुभव हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. बहुत कम लोगों का स्ट्रोक की पूरी और सही जानकारी होती है. इसलिए डॉ. विकास बता रहे हैं स्ट्रोक के लक्षण, कारण और बचाव करने के तरीके.
स्ट्रोक के लक्षण-‘BE FAST’ से लक्षण-
समय रहते (4 घंटे के अंदर) अगर स्ट्रोक के लक्षण (BE FAST), पहचान कर अगर अस्पताल पहुंचा जाए तो बहुत हद तक इसे रोका जा सकता है.
B- बैलेंस (Balance)- स्ट्रोक पीड़ित व्यक्ति अपने शरीर पर बैलेंस खो देता है. वो ना सही तरीके से बैठ पाता है और ना ही खड़ा हो पाते है.
E-आईज (Eyes)- अगर स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति को एक आंख या दोनों आंखों से अचानक धुंधला दिखाई देने लगे या दिखाई ही ना दे, तो समझ लें कि ये स्थिति स्ट्रोक से जुड़ी हो सकती है.
F-फेस (Face)- स्ट्रोक में फेस यानी चेहरा एक तरफ मुड़ जाता है. इसमे व्यक्ति मुस्कुरा भी नहीं पाता है या ऐसा होता है कि फेस सीधा नहीं दिखता.
A-आर्म्स (Arms)- स्ट्रोक में बांहे यानी बाजू शिथिल यानी ढ़ीले हो जाते हैं और उन्हें ऊपर उठाने में दिक्कत होती है. साधारण भाषा में कहें तो उनमें जान नहीं रहती है.
S-स्पीक (Speak)- स्ट्रोक में पीड़ित को बोलने में परेशानी होती है, उसकी जुबान लड़खड़ाने लगती है.
T-टाइम (Time)- स्ट्रोक में सबसे अहम है टाइम. स्ट्रोक होने पर टाइम बर्बाद ना करते हुए मरीज को तुरंत ही अस्पताल पहुंचाएं, जहां तक हो सके अच्छी सुविधाओं वाले अस्पताल में ही ले जाएं. जहां एमआरआई, सीटी स्कैन और बेहतर आईसीयू की सुविधा हो.
स्ट्रोक के प्रकार-
स्ट्रोक दो मुख्य प्रकार हैं.
इस्केमिक स्ट्रोक (Ischemic stroke)- यह स्ट्रोक का सबसे आम प्रकार है. यह तब होता है जब मास्तिष्क की ब्लड वेसेल्स के संकुचित हो जाने से ब्लड फ्लो गंभीर रूप से कम हो जाता है. कुछ शुरूआती शोधों से पता चला है कि कोविड-19 संक्रमण इस्केमिक स्ट्रोक का संभावित कारण हो सकता है.
हेमोररहगीक स्ट्रोक (Hemorrhagic stroke)- यह स्ट्रोक तब होता है जब आपके मास्तिष्क में ब्ल वेसल्स फट जाती हैं. ब्रेन हैमरेज आपकी ब्लड वेसेल्स को प्रभावित करने वाली कई स्थितियों के कारण हो सकता है. अनियंत्रित ब्लड प्रेशर, ब्लड वेसेल की दीवारों में प्रोटीन का जमा हो जाना हैमोरेगिक स्ट्रोक से संबंधित कारकों में शामिल है.
ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (Transient ischemic attack)- इसे कभी-कभी मिनी स्ट्रोक के रूप में जाना जाता है. टीआईए तब होता है जब एक क्लॉट आपके तंत्रिका तंत्र के हिस्से में रक्त के प्रवाह को ब्लॉक कर देता है. बता दें कि टीआईए होने से बाद में विकसित स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.
स्ट्रोक के कारक
आज के दौर में तनाव स्ट्रोक का बड़ा रिस्क फैक्टर है.
सर्दियों के मौसम में स्ट्रोक का खतरा 14-15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.
स्मोकिंग, अल्कोहल का सेवन कम कर दें। इससे भी स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है.
डायबिटीज, हाइपरटेंशन को नियंत्रित रखने के लिए लगातार जांच कराते रहें.
स्ट्रोक को कैसे रोकें-
धूम्रपान छोड़ें- यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोडऩे से स्ट्रोक का खतीरा बेहद कम हो जाएगा.
शराब का सेवन सीमित करें- ज्यादा शराब का सेवन आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है.
वजन मेंटेन रखें- अधिक वजन और मोटापे से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. अपने वजन को प्रबंधित करने के लिए संतुलित आहार लें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें.
नियमित जांच कराएं- डॉक्टर्स ब्लड प्रेशर , कोलेस्ट्रॉल की जांच नियमित रूप से कराने की सलाह देते हैं. इन सभी उपायों को करने से आपको स्ट्रोक से बचाव के लिए बेहतर स्थिति में लाने में मदद मिलेगी.
न्यूरोसर्जन डॉ. विकास कुमार
सीनियर रेजिडेंट न्यूरोसर्जरी RIMS के डॉक्टर विकास कुमार का कहना है कि स्ट्रोक से निपटने के दौरान ज्यादा सर्तक रहना बेहतर है. यदि आपको लगता है कि आप स्ट्रोक के लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो इमरजेंसी हेल्प लेने से न डरें. हालांकि, स्ट्रोक को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव आपके जोखिम को बहुम कम कर सकते है.