आर्यन श्रीवास्तव/न्यूज11 भारत
कोडरमा/डेस्क: कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के मसानोडीह में भगवान भोले का पारदर्शी शिवलिंग स्थापित है. स्फेटिक पत्थर के बने इस शिवलिंग को आज से तकरीबन डेढ़ सौ साल पहले यहां राजा महाराजा ने स्थापित किया था. भगवान भोले के इस स्वरूप को लोग निरंजन नाथ के रूप में जानते है. अंधेरे में सिर्फ एक दीये की रोशनी में शिवलिंग से न सिर्फ आर पार नज़र आता है बल्कि ऐसी मान्यता है कि इसमें शिवलिंग के अंदर भगवान भोले की पांच आकृतियां नजर आती है. शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. मन्नत लेकर यहां आने वाले भक्तों की हर मुराद पूरी होती है. दूर-दराज से लोग भगवान भोले के इस पारदर्शी शिवलिंग का दर्शन करने यहां पहुंचते है.
तकरीबन डेढ़ सौ साल पहले यहां के राजा को सपने में बाबा भोले का दर्शन हुआ था, इसके बाद काफी दूर से गाजे बाजे के साथ प्राण प्रतिष्ठा को लेकर मंदिर का निर्माण कराया गया और यहां स्फेटिक पत्थर के बाबा भोले के शिवलिंग को स्थापित किया गया. तब से यहां निरंतर पूजा पाठ होते आ रही है. स्थानीय लोगों की माने तो बाबा भोले शिवलिंग के अलौकिक स्वरूप का दर्शन कहीं और नहीं हो सकता. सिर्फ यहीं पर पारदर्शी शिवलिंग स्थापित है, जिसमें आर पार दिखाई देने के साथ-साथ ध्यान से देखने पर भगवान भोले के पांच स्वरूप भी नजर आते है. वहीं स्थानीय पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में काशी विश्वनाथ मंदिर के तर्ज पर पूजा पाठ होती है और तीन पत्ते वाले बेलपत्र से ही नहीं बल्कि 6-7 पत्ते वाले बेलपत्र से यहां शिवलिंग पर श्रृंगार किया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां भगवान भोले को लोग निरंजन नाथ के नाम से जानते है.