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झारखंड


हजारीबाग से विलुप्त हो रहे पर्यटक, प्रशासन भी धरोहरों के प्रति बेपरवाह

रोजमर्रा के कार्यों के अलावा अधिकारी नही दिखा रहे धरोहरों को विकसित कर पर्यटन को आकर्षित करने में दिलचस्पी
हजारीबाग से विलुप्त हो रहे पर्यटक, प्रशासन भी धरोहरों के प्रति बेपरवाह

प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत


हजारीबाग/डेस्कः प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज हजारीबाग का अपना स्वर्णिम इतिहास है. यहां कई ऐसे ऐतिहासिक धरोहरे हैं, जिन्हे यदि विकसित किया जाए तो न केवल पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है बल्कि देशी-विदेशी पर्यटकों की भी हजारीबाग में आवाजाही बढ़ सकती है. इससे न हजारीबाग की महत्ता बढ़ेगी बल्कि यहां के युवाओं के लिए रोजगार के भी अवसर पैदा होंगे. सरकार को राजस्व भी मिलेगा. सरकारी खजाना बढ़ेगा. हैरत की बात है की प्रशासन की दिलचस्पी इस ओर नही. हजारीबाग का प्रशासन सिर्फ रोजमर्रा के कार्यों में लगा है. पर्यटन स्थलों को विकसित करने की दिशा में प्रशासन कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा.

 

प्रशासन सिर्फ उन्ही योजनाओं में दिलचस्पी दिखाता जो सरकार प्रायोजित है और टारगेट को हासिल करना उनकी विवशता है. पर्यटन स्थलों को विकसित करने, योजनाएं बनाने, सरकार के पास स्वीकृति के लिए भेजने माइंडसेट किसी जिम्मेवार अधिकारी के पास नही क्योंकि उन्हें मालूम योजना बनाकर भेजने से उन्हें कोई व्यक्तिगत लाभ नही होने जा रहा. जब तक योजना पास होगी वी किसी दूसरे जिले में होंगे. अधिकारी उन्ही योजनाओं में रुचि लेते जिससे उन्हें कमीशन मिले. 

 

पांच झील हजारीबाग की शान, मगर एक विश्राम स्थल तक नही

हजारीबाग शहर में पांच झील शहर की पहचान है. इसी झील परिसर में उपायुक्त सहित तमाम बड़े नौकरशाहों के सरकारी घर हैं, मगर पर्यटकों के रहने के लिए एक विश्राम गृह या रेस्ट हाउस बनाने की कल्पना तक इन नौकरशाहों ने नही की. यदि झील परिसर में एक विश्राम गृह का निर्माण कर दिया जाए तो पर्यटक यहां रुककर रात भर झील की नैसर्गिक सौंदर्य का लुफ्त उठा सकते. प्रशासन बस झील की साफ सफाई और प्रकाश की व्यवस्था कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ले रहा. पर्यटन की असीम संभावनाओं से भरा पड़ा झील सरकारी मदद की बाट जोह रहा है.

 

हजारीबाग सात छोटी पहाड़ियों के रिंग से घिरा है, सरकारी मदद का है इंतजार

जिस प्रकार देश के उत्तरपूर्व हिस्से में सेवन सिस्टर्स के रूप में साथ राज्यों की अलग पहचान है. ठीक उसी तरह हजारीबाग की अपनी एक ऐतिहासिक पहचान है, पर शायद यहां के नौकरशाही को इसकी जानकारी नहीं और न ही जानकारी लेने में कोई दिलचस्पी ले रहा है.   हजारीबाग के गजेटेरियर में भी इसका उल्लेख है, मगर शायद ही किसी नौकरशाह ने इसे पढ़ा हो हजारीबाग सात छोटी पहाड़ियों के रिंग से घिरा है. 

 

इन पहाड़ियों में भूसवा पहाड़ी, सीतागढ़ा पहाड़ी, बानादाग पहाड़ी, कन्हारी पहाड़ी, बबनभई पहाड़ी, सिलवार पहाड़ी हजारीबाग को एक अलग पहचान देते, मगर आज तक इन पहाड़ियों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रति किसी अधिकारी का ध्यान गया हो. ये सभी पहाड़ियां समुद्र तल से 2000 से 2500 फीट ऊंची हैं. प्रशासनिक कुदृष्टि के कारण इन पहाड़ियों का अस्तित्व मिटने को है. प्रशासन की नजर बस कन्हरी पहाड़ पर है, वह भी वन विभाग की कृपा से जिला प्रशासन की एक भी योजना इस पहाड़ी के लिए नही बनी है.
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