न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: चैत्र नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. तीसरे दिन मां के 'चंद्रघंटा' स्वरूप की पूजा की जाती है. भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का दिन नवरात्रि का तीसरा दिन माना जाता है. बता दें, मां चंद्रघंटा के सर पर घंटे के आकार का चन्द्रमा है. इसलिए इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है. मां चंद्रघंटा के दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र होता है. वहीं इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है. माना जाता है कि चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं. बता दें, ज्योतिष में मंगल नामक ग्रह से इनका सम्बन्ध होता है.
ऐसे करें पूजा
बता दें, लाल वस्त्र धारण करके मां चंद्रघंटा की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है. सबसे पहले आप कलश की पूजा करके सभी देवी देवताओं और माता के परिवार के देवता, गणेश, लक्ष्मी, विजया, कार्तिकेय, देवी सरस्वती एवं जया नामक योगिनी की पूजा करें. इसके बाद फिर आप मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करें.आज आप मां को लाल पुष्प, रक्त चन्दन और लाल चुनरी अर्पित करें. इस दिन पूजा करने से भय का नाश होता है.
मंत्र
मंत्रों या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।
कुंडली दोष के लिए उपाय
वहीं अगर आपके कुंडली में मंगल दोष है या मंगल कमजोर है तो आप आज की पूजा विशेष परिणाम दे सकती है. इस दिन आप लाल रंग के वस्त्र पहनकर देवी की पूजा करें. इसके बाद लाल फूल, ताम्बे का सिक्का या ताम्बे की वस्तु और हलवा का मां को भोग लगाएं. बता दें कि मां को दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाए. माना जाता है कि देवी को यह भोग अत्यंत प्रिय है. इसके बाद आप मां के मंत्रों का जाप करें . फिर आपको मंगल के मूल मंत्र "ॐ अँ अंगारकाय नमः" का जाप करना होगा. इसके बाद अपने जो ताम्बे के सिक्के को मां को अर्पण किया था उसे अपने पास रख लें. अगर आप चाहें तो इस सिक्के में छेद करवाकर लाल धागे में डालकर गले में पहन सकते है.