कृपा शंकर/न्यूज 11 भारत
बोकारो/डेस्क:बोकारो विधानसभा क्षेत्र स्थित पचौरा विस्थापित गांव है. इसमें बंगाली टोला, गोस्वामी टोला, सेरसाडीह, चीराडीह, चीरूबेड़ा तथा मोहलीडीह मोहल्ला शामिल है. यहां के ग्रामीणों की सबसे बड़ी विडम्बना है कि इनके पूर्वजों ने बीएसएल प्लांट लगाने के लिए जमीन दी थी. जिसका दंश पीढ़ी दर पीढ़ी झेलनी को विवश है. ग्रामीण वर्षों से पंचायत बनाने की मांग उठाते रहे है. गांव में करीब तीन हजार वोटर और लगभग 7-8 हजार की आबादी है. बावजूद इसके विगत कुछ वर्ष पूर्व इस क्षेत्र को सरकारी नक्शा में ग्रीन लैंड दिखाया जा रहा है. ग्रामीण इससे व्यथित हैं. ग्रामीणों का कहना है अगर सरकार की नजर में हम और हमारा गांव है ही नहीं तो फिर यहां मतदान केंद्र को लेकर किसके लिए तैयारी चल रहा है. क्या हमें इंसान के बजाए कीड़ा मकौड़ा समझ रखा है. क्या कीड़े मकोड़ों को भी सरकार मतदान का अधिकार देती है.
पंचायत के अभाव में गांव और ग्रामीण का विकास कार्य अवरूद्ध -
ग्रामीण उत्तम कुमार डे, काली प्रसाद बेसरा, धनेश्वर तुरी, महादेव घटवार, मनोज दास आदि ने बताया कि बीएसएल ने हमारे गांव का पूरा अधिग्रहण नहीं किया है. हमारी जमीने खाली पड़ी है. बीएसएल प्रबंधन ने आज तक उक्त जमीन का उपयोग नहीं कर सकी. कम से कम हमें जमीन वापस ही कर दें. इससे जहां हम पंचायत में शामिल हो सकेंगे, वहीं गांव का और ग्रामीणों के विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा. बीएसएल प्रबंधन ने इसे नोटिफाई क्षेत्र घोषित कर रखा है. इस कारण हमारे गांव सहित बच्चों का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है. केंद्र और राज्य सरकार के योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. पीएम आवास, शौचालय सहित अन्य सरकारी योजनाओं हमारे गांव पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती है.
ऑनलाइन आय प्रमाण पत्र नहीं बनने से नहीं मिल पा रहा छात्रवृति का लाभ-
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत नहीं होने के कारण पचौरा के विस्थापित छात्र-छात्राओं का ऑनलाइन आय प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है. इस कारण यहां के बच्चे छात्रवृति से भी वंचित हैं. इतना ही नहीं, बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन भी नहीं मिल पाता है. इसके कारण यहां के बच्चे के उच्च शिक्षा की अभिलाषा भी घुटने टेकने लगी है. कहा कि हमारा खतियान मेनुअल मिल रहा है. लेकिन ऑनलाइन गायब है.
पचौरा से तीन किलोमीटर दूर दूसरे गांव में है जनवितरण प्रणाली दुकान-
ग्रामीणों ने बताया कि पचौरा में इतनी बड़ी आबादी है. पंचायत की सारी अहर्ताओं को पूरा करता है. लेकिन दुर्भाग्यवश पचौरा में एक भी पीडीएस दुकान नहीं है. यहां के ग्रामीण ढ़ाई-तीन किलोमीटर दूर महेशपुर में है. इससे यहां के ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. कहा कि दो आंगनबाड़ी केंद्र है. लेकिन दोनों का अपना भवन तक नहीं है. गांव में एक उत्क्रमित मध्य विद्यालय है. जहां बच्चों की संख्या के अनुकूल शिक्षक की भारी कमी है.
बीएसएल प्रबंधन के सीएसआर से लगा कई चापानल खराब, सोलर एनर्जी से एक बोरिंग में पानी कम-
ग्रामीणों ने बताया कि बीएसएल प्रबंधन ने सीएसआर के तहत पानी के लिए कई चापानल लगाया है. इनमें से अधिकांश मरम्मती के अभाव में खराब पड़ा है. चीराडीह में हाल ही सीएसआर फंड के तहत एक बोरिंग कर सोलर एनर्जी के साथ टंकी लगी है. कहा कि इस बोरिंग में पानी का अच्छा स्रोत नहीं मिलने के कारण परेशानी कम नहीं हो सकी. आज भी गांव के की लोग जोरिया और चुआं के पानी पर निर्भर है. कहा कि सीएसआर फंड से भी बीएसएल प्रबंधन ने गांव का विकास किया होता तो हम ग्रामीणों को अब तक काफी सुविधाएं उपलब्ध हो सकती थी.