प्रशांत शर्मा
हजारीबाग/डेस्क: आधी आबादी को पंचायती राज में कई अधिकार दिये गये हैं, लेकिन आज भी महिला मुखिया इससे वंचित है. मुखिया के पति ही क्षेत्र में हावी रहते हैं. हमेशा ग्रामीणों को किसी भी काम के लिए मुखिया पति का ही सामना करना पड़ रहा है. हजारीबाग जिला में लगातार ऐसे कई मामले देखने को मिल रहे हैं. इसमें क्षेत्र के लोगों को किसी भी काम के लिए मुखिया पति के सामने ही गिड़गिड़ाना पड़ता है. जानकारी के अनुसार, अबुआ आवास ही या फिर पेंशन, कुआं, सड़क, नाली, जॉब कार्ड आदि सभी कार्यों में मुखिया पति का ही अंतिम निर्णय होता है. क्षेत्र में योजना पारित करना, ग्रामीणों और सप्लायर से डील करना सभी कार्य मुखिया पति ही करते है. क्षेत्र में चर्चा है कि महिला मुखिया सिर्फ नाम मात्र के सिर्फ हस्ताक्षर के लिए ही हैं. मुहर लगाने का भी काम इनके पति ही करते है. लोगों को किसी भी काम के लिए मुखिया पति का करना पड़ता है सामना.
मुखिया पति अपने आपको क्षेत्र में मुखिया प्रतिनिधि बताते हैं
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जब भी वह अपने मुखिया से मिलने जाते हैं, तो वह घर व किचन संभालते नजर आती है. मुखिया पति दरबार के साथ क्षेत्र संभालते है. वास्तव में महिला मुखिया है, लेकिन लोग इनके पति को ही असली मुखिया मानते है. मुखिया पति अपने आपको क्षेत्र में मुखिया प्रतिनिधि बताते है, लेकिन ऐसा कहीं कोई प्रावधान नहीं है, पंचायत स्तरीय ग्राम सभा, स्थायी सशक्त समिति, वित्त अंकेक्षण, योजना समिति की बैठकों में अधिकतर महिला मुखिया के साथ इनके पति जरूर नजर आते है. इनके इशारे के बिना मुखिया कोई कदम नहीं उठाती है. उधर, लोगों का कहना है कि सरकार को इस पर कड़ा कदम उठाना चाहिए, मुखिया को स्वतंत्र रूप से कार्यभार करने का निर्देश देना चाहिए.