एक राज्य से दूसरे राज्य में चिकन की आवाजाही पर रोक लगने से पोल्ट्री इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित
देश की पोल्ट्री इंडस्ट्री पर कोरोना के कहर के बाद अब बर्ड फ्लू के खौफ का साया बना हुआ है. बर्ड फ्लू के खौफ के चलते चिकन की बिक्री पर भारी असर पड़ा है. खासतौर से उत्तर भारत में एक राज्य से दूसरे राज्य में चिकन की आवाजाही पर रोक लगने से पोल्ट्री इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई है. पोल्ट्री इंडस्ट्री की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल इस बावत रविवार को केंद्र सरकार से मिलने वाला है.
पोल्ट्री चिकन में बर्ड फ्लू के मामले अब तक सिर्फ हरियाणा में मिले हैं. अन्य जगहों पर ज्यादातर जंगली पक्षियों या प्रवासी पक्षियों में बर्ड फ्लू पाया गया है.
बर्ड फ्लू का खौफ इस कदर बढ़ गया है कि कारोबारियों की मानें तो चिकन की मांग 70 फीसदी से ज्यादा घट गई है. सूत्रों के अनुसार बीते तीन-चार दिनों से चिकन की बिक्री तकरीबन 70 से 80 फीसदी कम हो गई है जबकि कीमत 50 फीसदी गिर चुकी है और अंडों की कीमत भी करीब 15 से 20 फीसदी टूट चुकी है. चिकन की मांग गिरने की मुख्य वजह है कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के बीच एक राज्य से दूसरे राज्य में चिकन की आवाजाही पर रोक.
पोल्ट्री इंडस्ट्री की तरफ से एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मिलने वाला है जिसमें रमेश खत्री भी शामिल होंगे. वह सरकार से आग्रह करेंगे कि बर्ड फ्लू को लेकर जो अफवाहें फैल जाती हैं उससे इंडस्ट्री को भारी नुकसान होता है, इसलिए इससे बचाने के उपाय किए जाएं.
भारत में 2006 से तकरीबन हर साल सर्दियों में एवियन इन्फ्लूएंजा यानी पक्षियों में जुकाम की बीमारी की शिकायत कहीं न कहीं से मिलती रही है और इस बीमारी के प्रकोप से निपटने के तरीके सरकार ने 2005 में ही बना लिए थे जिन्हें प्रभावित क्षेत्रों में अमल में लाए जाते रहे हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत में चिकन खाने के जो तरीके हैं उनसे मानव में बर्ड फ्लू का संचार होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है, हालांकि उनका कहना है कि कोशिश यही होनी चाहिए कि बीमार पक्षी न खाएं.