रांची : टेंडर घोटाले के खुलासे का ये दूसरा अध्याय है. आज भी कई खुलासे होंगे, पर आज सबसे बड़ा खुलासा जिससे जुड़ा होने वाला है उसके बारे में जान लिजिये. उस शख्स का नाम है राकेश चौधरी.
कौन है राकेश चौधरी?
- राकेश चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के ओएसडी थे
- राकेश चौधरी शुरुआत में कार्मिक विभाग में क्लर्क थे
- पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के विश्वासपात्र रहें हैं राकेश चौधरी
- राजबाला वर्मा के लिये राकेश चौधरी ने लॉबिंग की थी
जब राजबाला वर्मा मुख्य सचिव के पद से हटीं तब तक राकेश चौधरी इतना प्रभावशाली हो चुका था कि उसने पथनिर्माण विभाग के साथ-साथ कई विभागों को अपने गिरफ्त में ले लिया था.
पथ निर्माण विभाग में राजबाला वर्मा वाले कलेक्शन का जिम्मा राकेश चौधरी को मिला था. इस दौरान हर टेंडर में डेढ़ फीसदी हिस्सा सरकार का होता था. लेकिन ये डेढ़ फीसदी हिस्सा सरकार में किसे जाता था ये जांच का विषय है. पर राकेश चौधरी का हिस्सा हर टेंडर में 0.5 फीसदी होता था. अब राकेश चौधरी का किरदार भ्रष्टाचार में समझने के लिये आप टेंडर की प्रक्रिया को समझिये.
विभाग के सचिव के जिम्मे टेंडर नहीं आता. टेंडर के लिये एक कमिटी होती है. उस दौरान इस कमिटी में रास बिहारी सिंह, अभियंता प्रमुख पथ निर्माण विभाग, मदन कुमार, प्रसन्ना कुमार और विभाग के उप सचिव थे. पर राकेश चौधरी इतना प्रभावशाली था कि वो इस कमिटी के सदस्यों को अपने इशारे पर नचाता था. देखते ही देखते राकेश चौधरी इस टेंडर घोटाले का सबसे बड़ा किंगपिन बन गया.
गुरुवार को हमने दिखायी थी टेंडर घोटाले की पहली किश्त
टेंडर घोटाले की पहली किश्त हमने आपको गुरुवार को दिखायी थी. हमने दिखाया था कि कैसे पथ निर्माण विभाग से जुड़े मदन और प्रसन्ना मुख्य अभियंता तक को चूना लगाते थे. पर आज हम आपको इस घोटाले के किंगपिन का खेल दिखाने वाले हैं. आज न्यूज11भारत के कैमरे पर एक भुक्तभोगी खुलासा करेगा कैसे उस किंगपिन ने एक ठेके के एवज में उससे वसूली की.
राकेश चौधरी जितना ऊपर दिये गये वीडियो में रघुवर दास से करीबी नजर आ रहे हैं... उतना ही तत्कालीन सीएम से थे भी. आज हम राकेश चौधरी द्वारा भ्रष्टाचार में निभाये गये किरदार बताते है. ये एक कबूलनामा है. सुरक्षा के कारणों से हम इस शख्स की पहचान जाहिर नहीं कर सकते, पर उसके बातचीत के अंश को पढ़कर साफ हो जायेगा कि इस भ्रष्टाचार की गंगोत्री का एक पीड़ित है.
शख्स- सीएम को तो पता भी नहीं रहता था ना....इसका तो अलग सब सेटिंग रहता था ना....सीएम को हमेशा डार्क में रखके ये पैसा कमाया है
शख्स- मदन और राकेश दोनों
रिपोर्टर- कितना का काम था वो?
शख्स- 204 करोड़ का
रिपोर्टर- कैसे हो गया उसका?
शख्स- हमारा था...बन रहा था मेरा....उसका रेट पता करवा लिया....मेरा रेट पता करवा लिया....और खुलवा लिया उसका.... मेरे से ऊपर था उसका
रिपोर्टर- मतलब कम था की ज्यादा था?
शख्स- मेरे से ऊपर था
रिपोर्टर- फिर उसका कैसे खुला?
शख्स- खुल गया...मतलब उससे लेस...मेरे से ज्यादा लेस था वो
रिपोर्टर- मतलब रेट लेस था उसका
शख्स- हां
रिपोर्टर- फिर उसका कितना लिया ये लोग?
शख्स- जो चलता है वो चलता ही था.....2.5 परसेंट ... 2 परसेंट... उसके अलावा राकेश का तो अपना खेला है
राकेश चौधरी के जेब में पथ निर्माण विभाग हुआ करता था. हम आपको बता चुके हैं इनका हिस्सा हर टेंडर में आधे फीसदी का होता था. हम फिर दोहरा रहे हैं कि सुरक्षा कारणों से हम इस शख्स का नाम या चेहरा यहां दिखा नहीं सकते पर अगर जांच एजेंसियां या कोर्ट चाहे तो हम उनके सामने इस सबूत को जरूर रखेंगे. अभी ये बातचीत का सिर्फ एक हिस्सा है. ऐसी कई लोगों से बातचीत है, जो सुनकर भ्रष्टाचार की इस गंगोत्री के पुल टूट जाएंगे. ये सीरीज न्यूज11भारत पर जारी रहेगा.
पथ निर्माण विभाग के निलंबित अभियंता प्रमुख रास बिहारी सिंह ने किया खुलासा
चलिये अब आपको एक स्टिंग ऑपरेशन दिखाते हैं. अब खुलासा करनेवाले हैं खुद पथ निर्माण विभाग के निलंबित अभियंता प्रमुख रास बिहारी सिंह. टेंडर घोटाले से जुड़े सबसे बड़े गुनहगार हैं पथ निर्माण विभाग से जुड़े पदाधिकारी. अब हम आपको आज का सबसे बड़ा खुलासा दिखाने जा रहे हैं. ये खुलासा कोई और नहीं करेगा. ये खुलासा खुद पथ निर्माण विभाग के निलंबित अभियंता प्रमुख रास बिहारी सिंह करेंगे.
रिपोर्टर- कुछ मतलब राकेश चौधरी, मदन को और प्रसन्ना को जाता था?
रास बिहारी सिंह- प्राथमिक कलप्रिट तो यही लोग है...हम तो छोटा
रास बिहारी सिंह- कुछो नहीं...खेल किया है तो यही लोग पकड़ायेगा न...
रिपोर्टर- मदन पकड़ायेगा?
रास बिहारी सिंह- हां
रिपोर्टर- प्रसन्ना पकड़ायेगा?
रास बिहारी सिंह- हम्म
रास बिहारी सिंह- ऐसा हुआ है न. ये लोग तो इंजीनियरिंग चीफ भी बाहर वाले को दिखलाता है न. जो बाहर से आया उसको ठग करके बता देता था ये इंजीनियरिंग चीफ है.
टेंडर घाटोले से जुड़ी खबरों को न्यूज11भारत पर दिखाए जाने के बाद हलचल तेज हो गई है. झारखंड के मुख्य सचिव डीके तिवारी ने कहा है कि कार्यक्रम में दिखाए गए तथ्यों को विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित जांच कमिटी के सामने रखा जाएगा. दो महीनों के अंदर जांच पूरी की जाएगी.