मोहम्मद सिराज ने कहा 'अंपायरों ने हमें बताया कि आप मैदान से बाहर जा सकते हैं और खेल छोड़ सकते हैं, फिर रहाणे भाई ने अंपायर से कहा कि हम नहीं छोड़ेंगे, हम इस खेल का सम्मान करते हैं.'
ऑस्ट्रेलियाई भीड़ ने मुझे गाली देना शुरू कर दिया, इसने मुझे मानसिक रूप से मजबूत बना दिया, इसे अपने प्रदर्शन में बाधा नहीं बनने देना मेरी प्रमुख चिंता थी. मेरा काम अपने कप्तान को सूचित करना था कि मेरे साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है और मैंने ऐसा किया.
गौरतलब है कि, सिडनी टेस्ट में भारतीय पेसर्स मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह पहले दिन से ही कुछ दर्शकों के निशाने पर रहे. दोनों को 'ब्राउन डॉग', 'मंकी', जैसी नस्लीय टिप्पणियों का सामना करना पड़ा. क्रिकेटर्स पर गालियों की बौछार हुई. इन सबके बाद भी ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों और क्रिकेटर्स में यह कहने की हिम्मत न जाने कहां से आ गई कि छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती हैं. महानतम तेज गेंदबाजों में शुमार ग्लेन मैक्ग्रा कॉमेंट्री के दौरान कह रहे थे कि 'इन चीजों को उतना तूल नहीं देना चाहिए.' बुमराह या सिराज की जगह मैक्ग्रा होते और उन्हें किसी एशियाई देश में ऐसे ही गालियां दी जातीं, तब शायद उन्हें समझ आता कि ऐसी टिप्पणियों का किसी की मानसिक स्थिति पर क्या असर पड़ता है.