रांची : विश्व तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर यूएस पॉली क्लीनिक के मुख्य चिकित्सा निदेशक और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी उमाशंकर वर्मा ने जागरुकता अभियान चलाया. इस दौरान 160 लोगों को तंबाकू सेवन से बचने को लेकर जागरूक किया. उन्होंने तंबाकू के दुष्प्रभाव के बारे में बताते हुये लोगों को जागरूक किया. साथ ही विश्वव्यापी कोरोना वायरस कोविड-19 से बचाव तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतू आयुष मंत्रालय तथा राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए परामर्श के आलोक में आर्सेनिक एल्बम 30 पावर की दवा सबों के बीच मुफ्त में बांटा. इस दवा के चार गोली रोज सुबह खाली पेट में एक बार 3 दिन तक अगले 3 महीने तक लेने की सलाह दी. कुछ ऐसे मरीज है मिले जिनके हाथ पाव बिल्कुल बर्फ के समान ठंडे थे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, हाथ पांव में खिंचाव व दर्द थी, सुखी सर्दी और खांसी, सांस लेने में दिक्कत थी. उन्हें कैंफर 1000 पावर की दवा नि:शुल्क दी गई और खाने की विधि बताई गई.
31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस या नो टोबैको डे का आयोजन पूरे विश्व में किया जाता है. 17 मई 1989 के दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह निर्णय लिया था, कि हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस या नो टोबैको डे मनाया जाएगा. इससे पहले 1987 में भी तंबाकू से होने वाली कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए विश्वव्यापी जागरूकता अभियान चलाया जाए. हर वर्ष 31 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों द्वारा नो टोबैको डे मनाया जाता है. लोगों को जागरूक किया जाता है कि तंबाकू से 90% मुंह छाती के कैंसर तथा हार्ट अटैक ,नींद की कमी व अवसाद, ऑक्सीजन की कमी रक्त अल्पता, अकबकी बेचैनी फेफड़े का कैंसर सांस लेने में कठिनाई, पेट की बीमारियां, ल्यूकोप्लेकिया, मानसिक रोग, चर्म रोग, मोटापा उच्च रक्तचाप ,कोरोनरी आर्टरी डिजीज, पैरों के नसों में रक्त थके की रुकावट के कारण गैंग्रीन और दर्द है, दिमागी दौरा पड़ने की बीमारी ,मानसिक तनाव ,नींद की कमी ,यौन समस्याएं ,याददाश्त की कमी, शारीरिक व मानसिक कमजोरी है, प्रजनन क्षमता में कमी , गर्भ पात तक हो जाती है. हर वर्ष विश्व भर में एक अरब 20 करोड़ लोग किसी ना किसी रूप में तंबाकू, सिगरेट, गुटखा, हुक्का, सिगार, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट, स्प्रे टोबैको इत्यादि का प्रयोग करते हैं. विश्व भर में 80 लाख लोग तंबाकू के नशे से काल के गाल में चले जाते हैं. इसमें 12 लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू खाने वाले के संपर्क में आने से मौत के मुंह में चले जाते हैं. अपने देश में प्रतिदिन 2739 लोगों की मृत्यु हो जाती है. तंबाकू में 28 तरह के कैंसर पैदा करने वाले तत्व तथा हजारों हानिकारक तत्व पाए जाते हैं. आंध्र प्रदेश अपने देश में सर्वाधिक तंबाकू पैदा करने वाला राज्य है. पूरे विश्व में 51.4 प्रतिशत पुरुष सिर्फ तीन देश चीन भारत और इंडोनेशिया में तंबाकू का सेवन किया करते हैं. इसमें चीन प्रथम स्थान पर भारत दूसरे स्थान पर और इंडोनेशिया तीसरे स्थान पर है. अपने देश में पूरे विश्व का 11% से अधिक के लोग तंबाकू का सेवन किया करते हैं. तंबाकू से हर वर्ष 1045 अरब का नुकसान होता है तथा सलाना तंबाकू से जुड़ी है. बीमारियों के इलाज पर 168 अरब की राशि खर्च होती है. जितनी आय तंबाकू के बिक्री के कर के रूप में आती है, उससे अधिक खर्चे जागरूकता पैदा करने, इलाज, दवाओं और जीवनशैली में सुधार पर हो जाता है. आजकल 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और कुछ नौकरी पेशा की युवतियों में भी स्टेटस सिंबल मानकर तंबाकू सिगरेट लेने लगती हैं, जो आगे चलकर आदत बन जाती है और उसे छोड़ पाना असंभव सा हो जाता है. यह चिंता का बहुत बड़ा कारण बना हुआ है. निम्न आय और मध्यम वर्ग के लोग सर्वाधिक तंबाकू सेवन के गिरफ्त में आते देखे गए हैं. इनकी संख्या करीब 75% है. हाल के समय में पचासी हजार पुरुष और 34000 महिलाओं में तंबाकू सेवन के मामले बढ़े हैं. यह भी एक चिंता का विषय है. ऐसे लोगों की आर्थिक समाजिक और स्वास्थ्य पर अत्याधिक के प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. तंबाकू सिगरेट गुटखा अन्य ऐसे मादक पदार्थों को छोड़ने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ खानपान रहन-सहन सात्विक संस्कारित जीवन बिताना, योगासन प्राणायाम पर ध्यान देना जरूरी होता है. मनोवैज्ञानिक सुझाव, संगीत वाद्य यंत्रों का प्रयोग, दृढ़इच्छाशक्ति, खेलकूद, तंबाकू के स्थान पर सौंफ लॉन्ग इलायची दालचीनी अदरक चना ड्राई फ्रूट्स इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है. इसकी लत को छुड़ाने में होम्योपैथिक औषधियां भी काफी कारगर साबित होता है. इसमें डेफिनि इंडिका, नक्स वॉमिका, सल्फ्यूरिक एसिड, सल्फर तथा कुछ और औषधियां लक्षणों के आधार पर दी जाती है.
इस वर्ष तंबाकू निषेध दिवस की थीम युवाओं को इंडस्ट्री के हथकंडे से बचाना और उन्हें तंबाकू और निकोटिन के इस्तेमाल से रोकना रखा गया है. यदि समय रहते हैं तंबाकू छोड़ने की सलाह दी जाए और तंबाकू छूट जाए तो 70 परसेंट कैंसर तथा श्वास की बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है विश्व महामारी कोरोना वायरस कोविड-19 के लॉकडाउन पीरियड में तंबाकू निषेध आदेश लागू होने के बाद 20% लोगों में इसकी आदत पूरी तरह छूट गई है तथा 74%% लोगों में इसकी आदत बहुत कम हो गई है. यह संभव हुआ है सिर्फ 68 दिन में. यदि तंबाकू निषेध हमेशा के लिए लागू कर दिया जाए तो लोगों के जीवन यापन, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति में आशातीत सुधार होगा. सरकार को भी तंबाकू जनित रोगों के दवा, इलाज, जागरूकता पैदा करने जीवन बीमा की भुगतान, सामाजिक सुधार, देश की प्रगति में काफी लाभ होगा.