हिंदू धर्म के सबसे पवित्र महीनों में से एक सावन मास की शुरुआत छह जुलाई से हो रही है. ज्योतिषियों के अनुसार सावन के सोमवार को सोम या चंद्रवार भी कहते हैं. यह दिन भगवान शिव को अतिप्रिय है. सावन में मंगलवार को मंगलागौरी व्रत, बुधवार को बुध गणपति व्रत, बृहस्पतिवार को बृहस्पति देव व्रत, शुक्रवार को जीवंतिका व्रत, शनिवार को बजरंग बली व नृसिंह व्रत और रविवार को सूर्य व्रत होता है.
सावन में शिव आराधना का है विशेष महत्व
हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष महत्व है. इस मास की अपनी संस्कृति है. ज्येष्ठ के तीव्र ताप और आषाढ़ की उमस से क्लांत प्रकृति को अमृत वर्षा की दरकार होती है. सावन में श्रवण नक्षत्र तथा सोमवार से भगवान शिव का गहरा संबंध है. भगवान शिव ने स्वयं सनत्कुमार से कहा है मुझे बारह महीनों में सावन (श्रावण) विशेष प्रिय है. इसी काल में वे श्रीहरि के साथ मिलकर लीला करते हैं. इस मास की विशेषता है कि इसका कोई दिन व्रत शून्य नहीं देखा जाता है.
इस महीने में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, शतरूद्र का पाठ और पुरुष सूक्त का पाठ एवं पंचाक्षर, षडाक्षर आदि शिव मंत्रों व नामों का जप विशेष फल देने वाला होता है. श्रावण मास का माहात्म्य सुनने अर्थात श्रवण हो जाने के कारण इसका नाम श्रावण हुआ. पूर्णिमा तिथि का श्रवण नक्षत्र से योग होने से भी इस मास का नाम श्रावण कहलाया है. यह सुनने मात्र से सिद्धि देने वाला है. श्रावण मास व श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्र, और चंद्र के स्वामी भगवान शिव, सावन मास के अधिष्ठाता देवाधिदेव शिव ही हैं.