बोकारो : आदिवासियों की ट्राईबल एवं सरना कॉलम की मांग को लेकर सरना विकास समिति सेक्टर 12 द्वारा सरना स्थल के समक्ष मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान आदिवासी समुदाय के लोग एकजुट हुए और आदिवासी कॉलम नहीं, तो जनगणना नहीं का नारा बुलंद किया.
संस्कृति एवं सभ्यता से खिलवाड़
वक्ताओं ने कहा कि भारतवर्ष के तीसरी सबसे बड़ी आबादी एवं 15 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले आदिवासी जन समुदायों के ट्राईबल धर्म कॉलम व सरना धरम कॉलम नहीं होने के कारण हमारी धर्म-आस्था, विश्वास, भाषा एवं परम्परा, संस्कृति एवं सभ्यता की मूल पहचान को नष्ट करने के लिए कई दशकों से खिलवाड़ जारी है. वक्ताओं ने बताया कि आदिवासियों की राष्ट्रीय पहचान धर्म कोड कॉलम वर्ष 1871 से 1951 तक अंकित था जिसे स्वतंत्र भारत में राजनीतिक षड्यंत्र के तहत समाप्त कर दिया गया.
सरना धर्म कॉलम खत्म करना, संवैधानिक एवं मौलिक हक अधिकारों से वंचित करना है
इस समय हिंदु, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी, यहूदी, लिंगायत आदि अन्य धर्म सहित अल्पसंख्यकों के धर्म के कॉलम हैं, परंतु सिर्फ सरना धर्म कॉलम को खत्म करना उन्हें संवैधानिक एवं मौलिक हक अधिकारों से वंचित करना है.
आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे
उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष 2021 में पुनः भारत वर्ष में जनगणना होना है, जिसमें जनगणना से पूर्व आदिवासियों के लिए ट्राईबल धर्म कॉलम व सरना कॉलम केंद्र सरकार से लागू कराने के लिए झारखंड विधानसभा मानसून सत्र में सदन से पारित कराने के लिए सभी सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि एवं अगुवाओं ने पूरे झारखंड में विरोध प्रदर्शन के लिए समाज के सभी जन अधिकारों की आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे.