विश्रामपुर की 400 फीट चौड़ी नदी 10 वर्षों में बन गई नाला, कई नदियों का अस्तित्व खतरे में
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिले के बड़कागांव प्रखंड की नदियों की हालत 10 वर्षों में बद से बदतर हो गई है. बालू माफियाओं के कारण कई नदियों का अस्तित्व ही समाप्त होने के कगार पर है. यह हालत सिर्फ बड़कागांव ही नहीं इचाक, पदमा, टाटी झरिया आदि प्रखंडों की छोटी-छोटी नदियों का है, जो धीरे धीरे नाले में तब्दील होते जा रहे है. नदियां अब मैदान में तब्दील होती जा रही है. यहां की नदियां गर्मियों में भी नहीं सूखती थी, परंतु अब पानी के लिए लोग तरस रहे है. इसकी मुख्य वजह नदियों से अंधाधुंध बालू का उठाव होना देखा जा रहा है. प्रखंड के कई नदियां 300 से लेकर 400 फीट तक चौड़ी हुआ करती थी. परंतु अब कई नदियां अपना अस्तित्व खो दी है. 1
0 वर्षों में 400 फीट चौड़ी नदियां नाला का रूप ले ली है. जिसमें मुख्य रूप से 400 फीट चौड़ी विश्रामपुर, शिवाडीह, महूदी, सिरमा, गोंदलपुरा नदी की सबसे खराब हालत है. ये नदियां गर्मी में भी नहीं सूखती थी, परंतु अब सोती (नाला) बनकर रह गई है. नदियों से बालू उठाव के कारण जलस्तर पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है. नदी के किनारे बसने वाले गांव में अब कुंए भी सूख रहे है. चापानलों की स्थिति भी काफी जर्जर देखे जा रहे हैं, पानी नहीं निकल रहे है. फल स्वरुप कृषि पर भी इसका असर देखा जा रहा है. जहां पहले गर्मियों में नदी किनारे खेत हरे भरे खेत देखे जाते थे, परंतु आज वहां टांड़ देखे जा रहे है. 10 वर्ष पूर्व गर्मियों में 40 फीट खुदाई में पानी निकल जाया करता था, परंतु आज वहां ढाई सौ 300 फीट में भी पानी नहीं निकल पा रहा है. जिसके कारण ग्रामीणों को अब डीप बोरिंग का सहारा लेना पड़ रहा है, परंतु डीप बोरिंग की पानी स्वास्थ्य पर भी असर डाल रहा है. शुद्ध पानी नहीं होने कारण लोग कई बीमारियों से गुजर रहे है.
अब हमें नदियों को बचाने की जरूरत है, वो भी दिन दूर नहीं जब, आने वाला पीढ़ी को एक मुट्ठी बालू के लिए भी दर-दर भटकना पड़ेगा. नदियों को बचाने के लिए बड़े-बड़े बांध की आवश्यकता है. नदियों को बचाने के लिए सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं फिर भी नदियों को बच नहीं जा पा रही है. इसे लेकर सरकार को अति गंभीरता से विशेष कार्य करने की जरूरत है. जैसे नदियों में बड़े-बड़े बांध बंधवाना, चेक डैम का निर्माण करवाना यह दो महत्वपूर्ण चीजें है. इन्हीं कार्यों से ही नदी के पानी के बहाव को रोका जा सकता है, जिससे जलस्तर बढ़ेगा, कृषि के साधन बढ़ेंगे, लोगों का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा.