अजय लाल/न्यूज 11 भारत
रांची: अपनी 15 सूत्री मांगों को लेकर मुख्यमंत्री आवास का घेराव और फिर 26 फरवरी से विधानसभा का घेराव का एलान करने वाले रसोईया संघ का आंदोलन बिना किसी भरोसे के ही समाप्त हो गया. आंदोलन समाप्त कराने में प्रशासन को इस बार किसी प्रकार का कोई मशक्कत भी नहीं करनी पड़ी, सबकुछ अपने आप हो गया.
क्या है मामला
दरअसल, रसोईया संघ के लोग अपनी सेवा को स्थायी करने सहित मानदेय वृद्धि को लेकर विधानसभा का घेराव करना चाहती थी. इसके लिए रसोईया संघ के लोगों ने बिरसा चौक के पास धरना देने का निर्णय लिया और इसके लिए एसडीओ से अनुमति मांगी थी. लेकिन बिरसा चौक के पास धरना देने की अनुमति नहीं मिली. प्रशासन की तरफ से कहा गया कि बजट सत्र के दौरान किसी भी संगठन को बिरसा चौक के पास धरना देने, अनशन करने की इजाजत नहीं दी गयी. और संघ को नये विधानसभा के पिछले हिस्से में कूटे गांव के पास एक जगह दी गयी. यह जगह साई मंदिर कूटे गांव के पास है. जब रसोईया संघ के लोग प्रशासन द्वारा आवंटित धरना स्थल देखने गये तो संघ के लोगों के मुंह से निकला– हे भगवान, यहां धरना कैसे देंगे. धरना स्थल के चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा है. (देखे तस्वीर). ना बिजली की व्यवस्था ना किसी की आवाजाही. यानी पूरी तरह विराना. लिहाजा, धरना स्थल को देखने के तुरंत बाद रसोईया संघ के लोगों ने एक बैठक की और अपने आंदोलन को अगली तारीख तक स्थगित कर दिया.
क्या कहते हैं संघ के लोग
रसोईया संघ की नेता अनीता देवी और अजीत प्रजापति कहते हैं कि हम अपनी मांगों को लेकर सरकार को जगाने आये थे ना कि जंगल देवता को. अनीता देवी कहती हैं कि प्रशासन हमलोगों के साथ जुल्म कर रहा है, जो जगह आंदोलन के लिए दी गयी है वहां पर दो घंटा बैठना मुश्किल है.
प्रशासन का पक्ष
रांची जिला प्रशासन के अधिकारी नाम ना लिखे जाने की शर्त पर बताया कि यह डीसी द्वारा दिये गये निर्देश पर फैसला लिया गया है. बजट सत्र की अवधि लंबी है लिहाजा बिरसा चौक के गेट को बंद नहीं किया जा सकता. बजट सत्र के दौरान सभी को विधानसभा के साईमंदिर के पास ही जगह दी गयी है.