के एन यादव/न्यूज़11 भारत
दुमका/डेस्क: मसलिया प्रखंड के ग्राम पंचायत खुटोजोरी आंगनबाड़ी संख्या 126 इन दिनों भगवान भरोसे चल रहा है. आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका नुरेफा बीबी अपने पति व बच्चों के साथ रांची पोषक क्षेत्र से तीन सौ किलोमीटर दूर रहती है. कभी कभार भवन पहुंचती है बाद बाकी केंद्र में ताला लटका रहता है. केंद्र में चालीस नानिहलों का नामांकन है वहीं गर्भधात्री महिलाएं भी गांव में हैं जिन्हें केंद्र का कोई भी लाभ नहीं मिल पा रहा है. बच्चों के अभिभावक सबुल अंसारी का कहना है कि बच्चों को पोषाहार मिल जाना आंगनबाड़ी का उद्देश्य नहीं होता है, बच्चों के लिए प्ले स्कूल की तरह यह केंद्र होना चाहिए. सहायिका बमुश्किल किसी तरह केंद्र में आये बच्चों को खिचड़ी खिला देती है लेकिन बच्चों को अच्छी आदतें पढ़ाई की आदत नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में बच्चों का सर्वांगीण विकास रुका हुआ है.
वहीं पोषक क्षेत्र की महिलाओं का कहना है कि बच्चे का भविष्य सेविका के नदारद रहने से खराब हो रहा है. सेविका के पति रांची में नोकरी करती है उनके बाल बच्चे तो अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं लेकिन हम गरीबों का क्या होगा. अगर उन्हें नहीं पढ़ाना है तो छह सालों से त्यागपत्र भी क्यों नहीं दे रही है. विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के कारण सेविका मनमानी करती आ रही है. समय समय पर जांच करने अधिकारी पहुंचते और सख्त कदम उठाते तो ये नोबत नहीं होती. उनके जगह कोई दूसरी सेविका चयन होता औऱ बच्चों को आंगनबाड़ी से मिलने वाले सभी प्रकार के लाभ मिल पाता. मौके पर गांव के दर्जनों ग्रामीणों ने सरकार से अभिलंब नए सिरे से सेविका बहाल करने व नदारद रह रही सेविका को हटाने की मांग की है.