प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-बड़कागांव के महुदी गांव पर 1984 से लगा कलंक आज मंगलवार को साफ कर दिया गया. प्रशासनिक रोक के बावजूद राम भक्तों का जुलूस आज महुदी से गुजरा. तनाव को देखते हुए महुदि में भारी तादाद में पुलिस बल को तैनात किया गया था. पुलिस चौकसी के बावजूद कुछ असामाजिक तत्वों ने पथराव कर विवाद को बढ़ाने की कोशिश की, मगर राम भक्तो के एकजुटता, पुलिस की मुस्तैदी के आगे उनकी एक नही चली .
क्या है मामला
1984 ई के पूर्व तक महुदी राणा मुहल्ला का जुलूस व झांकी एवम शोभा यात्रा महुदी ग्राम के विभिन्न गलियों से होकर मुस्लिम मुहल्ला मस्जिद टोला के बाद कानोदा तक अष्टमी की रात्रि पहुंचता था. साथ ही साथ उक्त शोभायात्रा नयाटांड तक मिलान करने को आता था एवं नवमी को पूजा अर्चना के उपरांत हरली में आयोजित भव्य रामनवमी मेला में 84 गाँव के राम भक्तों नियमित शामिल होते थे. शाम को अपने गांव वापस होता था जिसे 1984 में आपसी विवाद के कारण रोक दी गई. इस घटना में दो लोग हरली निवासी कार्तिक महतो और सांढ़ गांव निवासी देवल महतो की मौत हो गई थी. इसके बाद से कुछ ना कुछ कारण से शोभा यात्रा पर रोक लगा दी गई .महुदी मुख्य मार्ग में पुलिस व प्रशासन के द्वारा बैरिकेडिंग लगा दिया जाता था.जिसको लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश बना रहता था.लोगों का कहना है कि यह स्वतंत्र भारत में हिंदू समाज के लिए कलंक था.
जिसको लेकर कई बार राजनीतिक प्रशासनिक सामाजिक एवं ग्राम स्तर पर शोभायात्रा निकालने को लेकर प्रयास किए गए लेकिन सफलता नहीं मिली. हालांकि 5 वर्ष पूर्व 2018 में पूर्व विधायक लोकनाथ महतो के नेतृत्व में तिरंगा यात्रा निकाली गई और लोगों को आश्वस्त किया गया कि आने वाले दिनों में रामनवमी के अवसर पर किसी तरह का कोई भी समुदाय से आपत्ति नहीं होगी और शोभायात्रा, झांकी व जुलूस नियमित रूप से महूदी मुख्य मार्ग से निकाले जाएंगे. लेकिन वह भी मुस्लिम समुदाय के इनकार करने के बाद ज्यों का त्यों धारा का धरा रह गया और पुनः पुलिस प्रशासन द्वारा उक्त मार्ग में बैरिकेडिंग की जाने लगी.
मामला और तूल पकड़ते गया तथा हिंदू संगठन के द्वारा हजारीबाग से पैदल रथ लेकर विधानसभा तक पहुंच गया. आश्वासन मिला और हजारीबाग उपायुक्त के निर्देशन में उक्त गांव में बैठक कर समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया गया था.