चतरा : ये क्रंदन किसी का भी जिगर चाक कर सकता है... बस शर्त इतनी है कि वो जीवित हो. यहां एक औरत ने अपने कलेजे के टुकड़े को अपनी आखों के सामने तिल तिलकर मरते देखा... मगर वो विवश थी. और नजरें हर वक्त आसमान की ओर थीं. आंखों में सवाल ही था कि हुजूर आप तो सरकार हैं. आप विकास का दावा करते हैं. पर पता नहीं आपके विकास तक हमारी आवाज पहुंच भी रही थी या नहीं. और बीमारी मेरी बेटी की जान ले ही गयी. आपकी तमाम योजनाएं... आपके तमाम दावे आपके तमाम वादे बस धरे रह गये.
घटना चतरा की है. यहां एक महिला की बेटी को इलाज नहीं मिला. बीमारी ने उसकी जान ले ली. पर सवाल है इलाज क्यों नहीं मिला... अर्थी क्यों सजी... हां हम ये नहीं कह रहे कि आप मौत से जीत सकते थे... पर प्रशासन को यूं हथियार भी तो नहीं डाल देना था.