रांची : झारखंड की राजनीति में इन दिनों माननीयों का सरकारी बंगला से प्रेम की कहानी चर्चा में है. बीजेपी विधायकों को आवास खाली करने को लेकर नोटिस पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं और विधायक जी है कि तारीख पर तारीख मांग रहे हैं.
ये तेरा घर - ये मेरा घर ..... ये तेरा दर्द - ये मेरा दर्द ..... झारखंड की राजनीति में इन दिनों सरकारी बंगला से प्रेम चर्चा में है. सत्ता बदलने के साथ माननीयों का पता बदल जाना वैसे तो कोई नई बात नहीं, पर इस बार बीजेपी के सत्ता से बेदखल होते ही बीजेपी विधायकों का दर्द छलक गया. कुछ एक इस बात से नाराज हैं कि चुनाव जीतने के बाद भी सरकारी अधिकारी के नोटिस में उन्हें पूर्व विधायक बताया जा रहा है, तो कुछ बड़े बंगले को छोड़ छोटे आवास में जाने से कतरा रहे हैं. दर्द कुछ ऐसा है कि माननीय कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का भी दम्भ भर रहे हैं.
आवास आवंटन और आवास खाली करने को लेकर एक तरह जहां नोटिस पर नोटिस जारी हो रहे हैं, वहीं विधायक जी तारीख पर तारीख मांग रहे हैं. विधायकों का ये भी तर्क है कि कोरोना संक्रमण के इस काल मे आवास खाली करना कहां तक सही होगा. वहीं वर्तमान सरकार और संबंधित विभाग विधायकों के वरीयता की भी अनदेखी कर रही है. हर राज्य में इसको लेकर पहले से दिशा निर्देश जारी है, पर झारखंड में खाता ना बही - मुख्यमंत्री जो कहे वही सही वाली कहावत चरितार्थ हो रही है.
बीजेपी विधायकों को SDO द्वारा 72 घंटे के अंदर बल पूर्वक आवास खाली कराने का नोटिस भेजा है. दरअसल, इनमें से कुछ ऐसे आवास शामिल हैं जो हमेशा से ही कैबिनेट मंत्री या वरिष्ठ विधयकों को आवंटित होते रहे हैं, पर पिछले रघुवर दास की सरकार में कुछ माननीयों को ये आवंटित कर दिए गये.