आदिवासी बहुल जिला सिमडेगा में लोग अन्य जगहों से अपेक्षाकृत अधिक फलों का सेवन करते हैं. शायद यही कारण है कि यहां के लोगों का इम्युनिटी पावर और जगहों से अपेक्षाकृत अच्छी है. कोरोना संकट काल में रोजाना फलों के सेवन करने वाले लोग स्वास्थ्य नजर आए या कोरोना को जल्द मात देकर स्वस्थ हो गए.
फलों के थोक विक्रेता मनोज केसरी के अनुसार सिमडेगा में समान्य दिनों में प्रति सप्ताह 15-16 टन केले भुसावल जैसे आते हैं. वहीं त्योहारों के सीजन में केले का आवक बढ़ जाता है. छठ में बिहार के हाजीपुर से केला आता है. जबकि सेब समान्य दिनों में करीब 1000 पेटी प्रत्येक माह आता है. प्रत्येक पेटी में 7-8 किलो सेब होता है. अनार प्रत्येक वर्ष करीब 400 ट्रे तक आता है. प्रत्येक ट्रे में 9 किलो अनार होते हैं. वहीं सीजन में नासिक से अंगुर करीब 6-7 टन आता है. नागपुर से संतरा भी करीब 5-6 टन तक आता है.
इस तरह सिमडेगा में प्रत्येक वर्ष करीब 900 टन केला, करीब 1 टन सेब, करीब 6 टन अंगुर, करीब 6 टन संतरा और करीब 4 क्विंटल आनार आता है. मतलब सिमडेगा वासियों के रगों में फलों की मजबुती दौड़ती है. मनोज ने बताया कि सिमडेगा में फलों के 3 थोक विक्रेता और करीब 40-50 फलों के रिटेल शॉप हैं.
मनोज के अनुसार कोरोना संकट काल में भी फलों की मांग नहीं घटी. लॉकडाउन के दौरान ईद और अन्य पर्व के कारण फलों की बिक्री होती रही. वहीं कोरोना काल में इम्युनिटी मजबुत करने के लिए भी लोग फलों का सेवन किए. कहा जाता है कि जो व्यक्ति एक सेब प्रतिदिन खाता है उसे डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. अभी कोरोना काल है ऐसे में फलों को लाकर पहले अच्छी तरह धो लें. इसके बाद हीं इसका सेवन करें.