आज विश्व गोरैया दिवस हैं...हाल के वर्षों तक देवघर और इसके आसपास के क्षेत्रों की आवोहवा से प्रभावित हो कर झुंड की झुण्ड गौरैया और अन्य घरेलू चिडियां यहां आती रही हैं, लेकिन आमतौर पर घर-आंगन और वागानों में देखी जाने वाली ये घरेलू चिड़ियां अब विरले ही देखी जाती हैं.
पक्षी विशेषज्ञ पर्यावरण में आई भारी गिरावट को इसका बड़ा कारण मानते हैं. गौरेया की 32 प्रजाति पाई जाती है. जो धीरे-धीरे ये विलुप्त होने के कगार पर है. अन्य पक्षियों में से देवघर में इनमें से कुछ दुर्लभ प्रजाति की रंग-विरंगी चिड़ियां आज भी देवघर में दिख जाती हैं. हालांकि आज की नई पीढ़ी अब इन्हें अपने पाठ्य-पुस्तकों में ही देख सकती हैं. पक्षी विशेषज्ञ गौरैया सहित अन्य घरेलू पक्षियों को संरक्षित करने की सभी से गुहार लगा रहे हैं.
घर-आंगन और वागानों में अपना आशियानां बना कर रहने वाली गौरैया और रंग-विरंगी अन्य घरेलू चिड़ियां की प्रजातियों का तेज़ी से विलुप्त होना निसंदेह पर्यावरण में आई गिरावट का बड़ा संकेत हैं. जरूरत है इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की. अन्यथा इनमें से अधिकांश प्रजातियां इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जायेंगी. वहीं अब समाजसेवी भी गौरैया के संरक्षण की बात कर रहे है. ऐसे में शहरी क्षेत्र में लोगों से पानी खाना की व्यवस्था की तैयारी में है.