प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-नव वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा विक्रम संवत् 2081 के पावन अवसर पर संत कोलंबा महाविद्यालय हजारीबाग मुख्य छात्रावास के प्रांगण में प्राचीन गुरुकुल पद्धति का अनुकरण करते हुए "भारतीय ज्ञान परंपरा में काल गणना की प्रामाणिकता एवं वैज्ञानिकता" विषय पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया. आयोजन का शुभारंभ संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित पूर्व संकायाध्यक्ष ,मानविकी, विभावि प्रो ताराकांत शुक्ल ,अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी हजारीबाग बैजनाथ प्रसाद, मुख्य वक्ता वरिष्ठ प्रचारक आरएसएस झारखंड प्रदेश कुणाल कुमार, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्रोफेसर इंचार्ज कला संकाय रेव• डॉ जे आर दास एवम उपस्थित अन्य शिक्षकों ने द्वीप प्रज्जवलित करके किया. गणेश वंदना एवं स्वागत गीत छात्रावास के सह प्रीफेक्ट दीपक कुमार महतो ने प्रस्तुत किया.स्वागत भाषण, अतिथि परिचय एवं विषय प्रवेश छात्रावास के अधीक्षक डॉक्टर राजकुमार चौबे ने किया.
संगोष्ठी में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता कुणाल कुमार ने कहा कि हजारों -लाखों वर्ष पूर्व हमारे महर्षियों ने जिस प्रकार से काल की सूक्ष्तम (अणु) से लेकर अधिकतम सीमा ब्रह्मांड की उत्पत्ति तक का काल गणना जिस अकाट्य एवं प्रमाणित सत्य के रूप में प्रतिपादित किया वह बहुत ही सटीक और पूर्णतया वैज्ञानिक है. उन्होंने त्रुटि, वेध, निमेष, क्षण, काष्ठा, मुहूर्त, प्रहरों, पक्षों आदि पर बहुत ही विस्तार से मार्गदर्शन करते हुए मनवंतर, ब्रह्म वर्ष, आदि की बहुत ही सारगर्भित प्रस्तुति की.उन्होंने ऋतु परिवर्तन पंचांग, नक्षत्र, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, आदि के बारे में विद्यार्थियों को समझाते हुए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा लिखित पुस्तक "अग्नि की उड़ान" को पढ़ने के लिए आग्रह किया. उन्होंने कहा कि नक्षत्र ऋतुओं मौसम सहित दिवसों आदि का नामकरण पूर्ण रूप से वैज्ञानिक आधार पर सुनिश्चित किए गए हैं.
मुख्य अतिथि प्रोफेसर ताराकांत शुक्ला ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में काल गणना के संदर्भ में इतने व्यापक तथ्य उपलब्ध हैं जिसे एक संगोष्ठी सत्र में समग्र रूप में प्रस्तुति संभव नहीं है. उन्होंने कहा वैदिक ऋषियों ने अपने अनुसंधान के क्रम में सृष्टि को पंच मंडल- कर्म के रूप में व्यक्त किए हैं. यह पांच मंडल है चंद्र मंडल, पृथ्वी मंडल, सूर्य मंडल, परिमेष्ठी मंडल एवं स्वयं भूव मंडल.उन्होंने बहुत ही विस्तार से विक्रम संवत, मलमास, चार युग द्वापर युग, त्रेता युग, तथा सतयुग के काल अवधि के बारे में प्रकाश डालने का कार्य किया. अन्य मुख्य अतिथि वैधनाथ प्रसाद ने अपने विद्यार्थी जीवन के दौर में इस मुख्य छात्रावास में रहने वाले मित्रों का संस्मरण को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि इस छात्रावास का शिक्षा के क्षेत्र में गौरवशाली योगदान रहा है. उन्होंने विद्यार्थियों को ज्ञान अर्जित करने एवं सफलता पाने के लिए कई अनुकरणीय तरीके बताएं.
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए डॉक्टर जे आर दास ने भी विद्यार्थियों को बहुत प्रेरणादायक बातें बतलाई.इस संगोष्ठी में उपस्थित शिक्षकों डॉ अरुण कुमार मिश्रा ,डॉ मृत्युंजय प्रसाद, डॉ बालेश्वर यादव, डॉक्टर सुबोध कुमार साहू ,डॉक्टर जयप्रकाश आनंद ने भी बहुत ही विस्तार से भारतीय नव वर्ष एवं काल गणना के संदर्भ में अपने विचार रखे. छात्रावास के वरिष्ठ विद्यार्थी यशवंत कुमार ने स्वरचित कविता के माध्यम से भारतीय काल गणना की प्रस्तुति की. धन्यवाद ज्ञापन छात्रावास के प्रीफेक्ट विशाल कुमार मिश्रा ने की.कार्यक्रम में काफी संख्या में शिक्षकेत्तर कर्मियों ने भी भाग लिया. नव वर्ष के इस उत्सव पर विद्यार्थियों द्वारा तैयार स्वादिष्ट व्यंजन सामूहिक रूप से ग्रहण करके उत्सव मनाया गया.इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से सचिन जायसवाल, सूरज कुमार,आकाश राणा,मुकेश महतो, अंशु कुमार, रवि रजक, बबलू कुमार, इत्यादि ने सक्रिय योगदान कर कार्यक्रम को सफल बनाया.