रांची : कोरोना संक्रमण के इस काल में झारखंड की राजनीतिक तापमान समय के साथ बढ़ती ही जा रही है. प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल ने हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ राजनीतिक हमला तेज कर दिया है. सिदो-कान्हू के वंसज की कथित हत्या से लेकर बालू उठाव तक के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं.
अनलॉक-2 में जिस तरह समय के साथ प्रतिबंध हट रहे हैं, ठीक उसी तरह अब राजनीति का पारा भी कोरोना के दहलीज को लांघ रहा है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर अपने पूरे परवान पर है और राज्य की मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ राजनीतिक हल्ला बोल दिया है. कोरोना संक्रमण काल मे राज्य सरकार पर लापरवाही से लेकर सिदो-कान्हू के वंसज की कथित हत्या और बालू की कालाबाजारी पर बीजेपी के तेवर तल्ख है. बाबूलाल मरांडी राज्य में सरकार के आदेश के विपरीत बालू की कालाबाजारी का चिट्ठा खोल पूरी तरह से हमलावर दिख रहे हैं.
झारखंड की राजनीति में बीजेपी के सवाल और उसके जवाब के बीच उसका शासनकाल रहा है. जब कभी भी बीजेपी सत्ता से बाहर हो कर राज्य सरकार पर निशाना साधती है तो सामने से उसके कार्यकाल का उदाहरण खुद ब खुद सामने आ जाता है. शायद यही वजह है कि सुबोधकांत सहाय जैसे नेता चुटकी लेते हुए कहते है कि एक पुराने मित्र इधर भी थे तो लड़ रहे थे उधर भी गये है तो लड़ना पड़ रहा है.
झारखंड में संभवतः ये भविष्य की राजनीति का ट्रेलर है. पूरी फिल्म के लिये थोड़ा इंतजार करना होगा और जब तक फ़िल्म बनकर तैयार नहीं हो जाती राजनीति का ये ड्रामा यू ही चलता रहेगा.