राकेश कुमार
रांची : कह दो अंधेरों से कहीं और घर बना ले... मेरे हिस्से में रोशनी का सैलाब आने वाला है. फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा के उन नेताओं को रोशनी के लिए अभी और इंतजार करना होगा. जो नेता चुनाव के वक्त जीत की उम्मीद और टिकट की चाहत में पार्टी छोड़ कर गए थे, पार्टी ने इनके घर वापसी को लेकर फिलहाल नो एंट्री का बोर्ड लगा रखा है.
सूबे में सत्ता परिवर्तन के साथ ही सत्तारूढ़ दल जेएमएम को लेकर दूसरे दलों के नेताओं का प्रेम भी जगने लगा है. इस फेहरिस्त में कई बड़े नाम भी हैं, जिन्होंने बकायदा जेएमएम ज्वाइन करने को लेकर आवेदन दे रखा है. हालांकि पार्टी में ऐसे नेताओं के नाम को लेकर भी फिलहाल एंट्री बंद हैं. 14 मार्च को जेएमएम केंद्रीय समिति की बैठक में इन नामों पर चर्चा के बाद ही पार्टी कोई फैसला लेगी. तब तक इन नेताओं को भी इंतजार ही करना होगा.
इंतजार सियासत में सफलता की कुंजी है... जिसके पास सत्ता है... उसे इसे बरकरार रखने के लिए इंतजार करना है... और जिसके पास सत्ता नहीं है उसे सत्ता पाने के लिए इंतजार करना है. इन सरीखे जो बेचारे है उन्हें चारा पाने के लिए भी इंतजार ही करना है. कुल मिलाकर जेएमएम के पुराने बागियों के पास इंतजार के सिवा और कोई विकल्प है नहीं. अब तय उन्हें करना है कि इंतजार की इंतिहा तक उन्हें जाना मंजूर है या नहीं.
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