जमशेदपुर के टेल्को स्थित मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट के संचालक हरपाल सिंह थापर और सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष पुष्पा रानी तिर्की के अलावा ट्रस्ट की वार्डन गीता देवी और उसके बेटे आदित्य सिंह को पुलिस बुधवार सुबह 6 बजे जमशेदपुर लेकर पहुंची. इनके साथ वार्डन गीता देवी की बेटी भी शामिल थी. सभी को बिरसानगर थाने में रखा गया था. पूछताछ करने के बाद पुलिस ने सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
इस मामले में जानकारी देते हुए सिटी एसपी सुभाष चंद्र जाट ने बताया कि सभी के खिलाफ मामला दर्ज होने के दूसरे दिन ही सभी मध्यप्रदेश के सिंगरौली चले गए थे. यहां हरपाल सिंह के परिजन रहते है. सभी अपना लोकेशन बदल रहे थे. एएसपी कुमार गौरव के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर छापेमारी की गई. सभी को मध्यप्रदेश के सिंगरौली से गिरफ्तार किया गया.
उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में ये बात भी सामने आई है कि इनके द्वारा ट्रस्ट के फंड का गलत इस्तेमाल किया जाता था. ट्रस्ट के बैंक खाते को फ्रीज कर आगे की जांच की जा रही है. बच्चियों का इस्तेमाल कर भोले भाले लोगों को फंसाने का इस्तेमाल करने के मामले में उन्होंने बताया कि मानगो में एक मामले में नाबालिग पीड़िता द्वारा मामला दर्ज कराया गया था, बाद में डीएसपी हेडक्वार्टर 1 द्वारा बच्ची से पूछताछ करने पर बच्ची ने बताया था कि सीडब्ल्यूसी द्वारा उसे बयान देने के लिए कहा गया था. इस मामले के बाद ट्रस्ट द्वारा बच्चियों का इस्तेमाल कर लोगों को फंसाने के मामले में जांच की जा रही है.
वहीं बीते दिनों ही पश्चिमी घोड़ाबांधा पंचायत के वार्ड सदस्य पर बच्ची से दुष्कर्म का आरोप लगाया गया था. इस मामले में भी परिजनों ने सीडब्ल्यूसी द्वारा फंसाने का आरोप लगाया गया था. पुलिस इस मामले में जांच कर रही है. बता दें कि बीते दिनों ट्रस्ट से दो नाबालिग फरार हो गई थी. पुलिस ने दोनों को बिरसानगर जोन नंबर दो से बरामद किया था. दोनों ने पुलिस को बताया था कि ट्रस्ट के संचालक हरपाल सिंह थापर उसके साथ यौन शोषण करते थे. उसे पहनने के लिए कपड़े नहीं देते थे.
वार्डन गीता देवी से शिकायत करने पर कोई कार्रवाई नहीं होती थी, जिस कारण वे दोनों भाग गई. इस मामले में हरपाल सिंह, सोनी केविड, गीता देवी, सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष पुष्पा तिर्की और आदित्य सिंह पर छेड़खानी और अश्लील हरकत करने का आरोप लगाया था. इधर एनसीपीसीआर ने मामले को संज्ञान में लिया और जिले के उपायुक्त को 7 दिनों में जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा था. मामले में यह भी बात सामने आई थी कि ट्रस्ट के लिए जो सरकारी सहयोग मिलता था, उसे हरपाल सिंह अपने खाते में ट्रांसफर कर लेता था.