न्यूज़11 भारत / प्रशांत शर्मा
हजारीबाग/डेस्क : जिले के जंगलों के लिए इन दिनों महुवा काल बन गई है. बड़कागाँव वन क्षेत्र में अधिकांश जंगलों में महुआ चुनने के दौरान लोग आग लगा दे रहे हैं, जिसके कारण अधिकतर छोटे-छोटे पौधे, झाड़ियां,जंगली औषधियां सब जलकर खत्म हो जाते हैं. कुछ पुनः जीवित हो जाते हैं जबकि अधिकतर जलकर खत्म हो जाते हैं. बार-बार जंगल में आग लगने के कारण जंगल का घनत्व कम होते जा रहा है. शिक्षक कुलेश्वर कुमार बताते हैं कि जंगल में वर्तमान समय में भी कुछ औषधियां उपलब्ध है जिनका प्रयोग जंगल के आस-पास के लोग करते हैं जैसे हडजओर,गऐठई,टेना,जंगली कोंहडा,गुलर आदि. लोग कहते हैं कि हडजोर को टूटा हुआ स्थान पर सिर्फ बांद देने से हड्डी जुट जाता है उसी प्रकार गुलर कैंसर रोगी को ठीक करने के काम में आता है.बार-बार जंगल में आग लगने के कारण जंगली जीवों का कमी होते जा रहा है क्योंकि उन लोगों का आश्रय स्थल और उन लोगों का आहार का कमी होते जा रहा है. इस दिशा में काण्डतरी वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति के सदस्य लोग 5 वर्षों से लगातार सक्रियता के साथ कार्य कर रही है.हम लोगों को आग बुझाने में ज्यादा परेशानी होती हैं हम लोग हर वर्ष अपने खर्चे से आग बुझाने का काम करते आ रहे हैं. हम लोगों को फॉरेस्ट विभाग से कुछ भी नहीं मिलता है जबकि आग बुझाने के लिए आवश्यक सामग्रियां मिलना चाहिए, जैसे आग बुझाने वाली मशीन, पेट्रोल, अच्छा टॉर्च, अच्छा सोल वाला जूता इत्यादि क्योंकि जंगलों में आग बुझाने का कार्य रात हो या दिन दोनों समय होता है हालांकि आग बुझाने में रात का समय आसानी से आग बुझता है. हम लोग चार -पांच आदमी जैसे कुलेश्वर कुमार, बालेश्वर महतो, तुलेश्वर महतो, मनोहर सिंन्हा काण्डतरी वन समिति से हर समय तत्पर रहते हैं. जहां कहीं भी जंगल में आग लगता है तुरंत बुझाने का प्रयास करते हैं.