रांची : कहां आसां है इंसान का भगवान हो जाना. यहां तो मुश्किल है इंसान का इंसान हो जाना. पर जब इंसान को बार-बार भगवान के समकक्ष लाने की कोशिश हो. तो फिर इंसान इंसान तो रह नहीं पाता और भगवान होना तो उसके लिये संभव ही नहीं. लालू यादव के साथ भी यही हो रहा.
आरोप चारा घोटाले का है. सजा भी काट रहे, पर भक्ति का आलम देखिये, सजायाफ्ता की खिदमत में लालू चलीसा पढ़ी जा रही. भक्ति बड़ी स्वार्थी होती है. ये किसी को अपना नहीं मानती. आज लालू चलीसा पढ़ रही है. 26 जनवरी को गोडसे को जिंदाबाद कर रहे थे.
लालू सजायाफ्ता हैं. हो सकता है आप लालू के फैन हों, हो सकता है आपने उनकी खिदमत में लालू चलीसा रचवाया या पढ़ा. पर इंसान को भगवान के दर्जे पर लाने की आपकी कोशिश से समाज क्या संदेश लेगा. ये तो समाज ही तय करेगा.