धनबादः पीएमसीएच में व्यवस्था का अभाव भले ही कोई नई बात न हो पर जब पूरा देश कोविड 19 से लड़ रहा हो तो ऐसे वक्त में भी इस पीएमसीएच को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराना यह सरकार की उदासीनता को जाहिर करता है. पीएमसीएच में चिकित्सकों की भारी कमी एक प्रमुख वजह है. सरकार समुचित संसाधन पीएमसीएच को मुहैया नहीं करा पा रही है. यही वजह है कि कम संसाधनों के बीच भी बेहतर से बेहतर इलाज देने के प्रति संवेदनशील रहनेवाले चिकित्सकों की इच्छा शक्ति भी अब जवाब दे रही है. यहां मरीजों के इलाज में कई बार लापरवाही बरते जाने के मामले चर्चा में आते रहे है और अखबार चैनलों की सुर्खियां भी बनी है.
500 बेड वाले इस अस्पताल को दरअसल 2015 से आउटसोर्सिंग पर मैनपॉवर उपलब्ध करा रही है पर निजी एजेंसी ने वार्ड नर्सों, स्टाफ बॉय की नियुक्ति तो की पर अभी भी अस्पताल के हिसाब से कम है. इस कमी के कारण परिजन और उसके मरीज को काफी परेशानी हो रही है. हालांकि अस्पताल के प्रिंसिपल का कहना है की अभी भी कुछ कमी है जो पूरी कर ली जाएगी और पेशेंट को कोई कास्ट न हो इसके लिए डॉक्टर की भी नियुक्ति के लिए सरकार से मांग की गयी है.
जिले में बढ़ते कोरोना संक्रमितों के बेहतर इलाज में संसाधनों का अभाव आड़े आ रहा है यह हम नहीं बल्कि पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ शैलेन्द्र कुमार ने उपरोक्त समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए आगे कहा सरकार को अविलंब चिकित्सक की कमी को पूरा करने के प्रति गंभीर कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल मे संसाधनों का अभाव इलाज में और भी दिक्कते पैदा कर रहा है. डिलीवरी के कार्य में या सर्जरी या फिर पीसीयू या अन्य विभाग में चिकित्सक की ड्यूटी है तो वे कोरोना पेसेंट का इलाज नहीं कर सकते है. इसके बाद भी चिकित्सक कोरोना संक्रमित के इलाज में जुटते है तो वे भी संक्रमित हो जाते है. पूर्व में तीन चिकित्सक कोरोना मरीज का इलाज करने के दौरान संक्रमित हो गए.
एक चिकित्सक को गंभीर हालत में रांची रिम्स भी रेफर करना पड़ा. चिकित्सक के संक्रमित होने के बाद पीएमसीएच में जो व्यवस्था है उन्ही व्यवस्था के बीच चिकित्सकों का भी इलाज होता है. इलाज के बाद उन्हें 14 दिन के क्वॉरेंटाइन में रहना पड़ता है. इन सब के बाद भी चिकित्सक के इस पीरियड को राज्य सरकार ऑन ड्यूटी नहीं मानती. जिसके कारण चिकित्सकों का हौसला टूट जाता है. चिकित्सक कम है और काम का प्रेशर अधिक है. ऐसे में चिकित्सक बीमार भी पड़ जाते है. ऐसे कई सवाल है जिसका जवाब सरकार को देना है. उन्होंने कहा कि साढ़े पांच सौ बेड का पीएमसीएच अस्पताल में रोजाना हजारों मरीज ओपीडी पहुंचते है. उन मरीजों को देखने की जिमेवारी वार्ड में भर्ती मरीजों को देखना और उसपर से फिर कोरोना के मरीजों का उपचार करना सीमित संसाधनों के बीच मुमकिन नहीं रह गया है. सदर अस्पताल के चिकित्सक ने भी संसाधनों के अभाव में बेहतर इलाज करने में हो रही परेशानी को बयां किया. उन्होंने बताया चिकित्सक की भारी कमी बेहतर इलाज में आड़े आती है. सभी जरूरी चिकित्सा व्यवस्था का अभाव भी समुचित इलाज में बाधक बनती है.