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वामदलों में क्यों नहीं आयोजित होता सदस्यता अभियान, जानें CPM का सदस्य बनना है तो क्या करना होगा?

वामदलों में क्यों नहीं आयोजित होता सदस्यता अभियान, जानें CPM का सदस्य बनना है तो क्या करना होगा?
अजय लाल /  न्यूज 11 भारत

 

रांची:  भाजपा भी सदस्यता अभियान चलाती है और कांग्रेस भी. आपने राजद और जदयू के भी सदस्यता अभियान के बारे में सुना होगा. ये पार्टियां सड़क किनारे कहीं भी स्टाल लगाकर आम लोगों को पार्टी का सदस्यता दिलाती है. कई बार तो राजनीतिक दल की सदस्यता लेने के लिए भीड़ भी दिखती है, लेकिन इन सबसे इतर आपने कभी भी वामदलों को सदस्यता अभियान के लिए कैंप लगाते नहीं देखा होगा.

 

मुख्य वामदल कौन – कौन है

 

भारत की सबसे पुराना वामदल भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी है. भारत कम्यूनिस्ट पार्टी की स्थापना 1925 में कानपुर में हुई थी. हालांकि कुछ लोग यह मानते हैं कि सीपीआई की स्थापना 20 अक्टूबर 1920 को ताशंकद में हुई थी. बाद की कहानी यह है कि सीपीआई में विचारधारा की लड़ाई शुरू हो गयी और सत्ता के वर्गीय चरित्र के मूल्याकंन पर ऐसा मतभेद उभरा कि 1964 में सीपीआई दो फाड हो गयी और इस तरह 1964 में सीपीएम यानी मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी का जन्म हुआ. बाद में सीपीएम के कुछ लोगों को लगा कि सीपीआई से अलग होने के बाद भी पार्टी के कॉमरेड सीपीआई की ही राह पर चल रहे हैं लिहाजा सीपीएम में फिर से विभाजन हुआ और इस बार भाकपा माले का गठन हुआ, जिसका नेतृत्व चारू मजूमदार ने किया. चारू मजूमदार को लगा कि सशस्त्र क्रांति के बगैर सत्ता पाना मुश्किल है लिहाजा भाकपा माले ने बहुत सालों तक भूमिगत राजनीति की. बाद में भाकपा माले के 29 अलग – अलग गुट बने लेकिन विनोद झा (अभी दीपांकर भट्टाचार्या ) के नेतृतव वाली भाकपा माले (लिबरेशन) ने संसदीय प्रणाली में विश्वास जताया और मुख्यधारा की राजनीति शुरू की. तब आईपीएफ को लोगों ने चुनाव लड़ते देखा.

 

कैसे ली जाती है सदस्यता

 

मौजूदा दौर में सीपीएम की सदस्यता ग्रहण करना काफी कठिन माना जाता है. इसे यू समझिये कि यदि राम प्रवेश नामक व्यक्ति यदि सीपीएम का सदस्य बनना चाहता है तो उसे सबसे पहले सीपीएम का संविधान पढने को कहा जायेगा. बाद में उसे सीपीएम के कार्यक्रमों (आंदोलनों) को पढना होगा. यदि उसकी विचारधारा पार्टी के संविधान से मेल खाती है तो पार्टी की स्थानीय कमिटी रामप्रवेश को जंजू ग्रुप में शामिल कर लेगा. जंजू ग्रुप यानी AUXILIARY  ग्रुप. इस ग्रुप में रामप्रवेश को छह महीने तक रहना होगा. इस दौरान उसे प्रशिक्षित किया जायेगा. मार्क्सवाद के बारे में उसे बताया जायेगा. बाद में रामप्रवेश को किसी जनसंगठन के साथ जोड़ दिया जायेगा. जनसंगठन में उसकी सक्रियता देखी जायेगी. सबकुछ ठीकठाक रहा तो उसे अगले छह माह के बाद उम्मीदवारी सदस्यता दी जायेगी. इसकी अवधि भी छह माह होगी. उम्मीदवारी सदस्यता के बाद राम प्रवेश को सीपीएम के किसी पार्टी शाखा से जोड़ दिया जायेगा. पार्टी की शाखा में 15 सदस्य होते हैं. ऐसे ही तीन शाखा मिलाकर एक स्थानीय कमिटी बनती है. तीन स्थानीय कमिटी मिलाकर जिला समिति बनती है.  जिला समिति उस जिले की सबसे बड़ी यूनिट होती है. उम्मीदवारी सदस्यता के दौरान आपका रूझान पार्टी  की ओर देखा गया तो फिर रामप्रवेश को धीरे – धीरे पार्टी की जिला कमिटी से जोड़ दिया जायेगा और तब रामप्रवेश सीपीएम का फुल मेम्बरशीप सदस्य हो जायेगा. एक जिला कमिटी में कम से कम 200 सदस्यों का होना जरूरी है अन्यथा उसे जिला समिति ना कहकर जिला सागंठनिक कमिटी कहेंगे.

 

 

 

दस काम जो सदस्यों का हर हाल में करना होता है

 

सदस्यों को अपनी आमदनी का एक हिस्सा पार्टी को लेवी देना होता है

 

पार्टी के सभी कार्यक्रमों में शामिल होना पड़ता है

 

पार्टी का अखबार पढना और उसे बेचना होता है

 

सार्वजनिक तौर पर किसी धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने पर पाबंदी होती है

 

जाति – पाति का राजनीति से तौबा करना होता है

 

घर या बाहर महिलाओं पर हिंसा पर पाबंदी होती है

 

दहेज लेने देने पर पाबंदी होती है

 

पार्टी लाईन से इतर बयान देने पर पाबंदी होती है

 
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