प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्कः झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की 45वीं स्थापना दिवस पर बड़ा रैली आयोजित किया गया. इस रैली में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन सहित कई नेता शामिल हुए. स्टेज के सामने झारखंड के शहीदों की तस्वीरें लगाईं गईं थी. कल्पना सोरेन के आगमन के साथ ही सभी मौजूद लोग नारा लगाकर उनका अभिवादन कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने हाथ हिलाकर कार्यकर्ताओं का अविवादन स्वीकार किया.
लोकसभा चुनाव के तरीखों की घोषणा के बाद झामुमो ने पहली बार बड़ा रैली का आयोजन किया है. यह रैली हजारीबाग में झामुमो के 45वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित की किया गया. जिसके लिये मटवारी गांधी मैदान में भव्य पंडाल बनाया गया था. इस दौरान जमकर हेमंत सोरेन जिंदाबाद, कल्पना सोरेन के नारे लगे. कार्यकर्ता लगातार जेल का फाटक टूटेगा हेमंत सोरेन छूटेगा के नारे लगा रहे थे.
कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कल्पना सोरेन ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि आपका बेटा, आपका दोस्त, आपके भाई आप जिस भी रिश्ते में उनको मानते हैं उन्होंने आपलोगों से माफी मांगी है. माफी इसलिए क्योंकि 2019 में जनादेश प्राप्त करने के बाद उनकी जो सोच थी झारखंड के लिए, उसके लिए वह जो करना चाहते हैं वह नहीं कर पा रहे हैं. सजा सिर्फ हेमंत जी को इसलिए दी गयी है क्योंकि वो अपने गरीब जनता के लिए काम करना चाहते थे. उनके सारे कार्यक्रम जनकल्याण के लिए होते थे. कोई भी वर्ग हो आप सबके लिए हेमंत जी ने योजनाओं की लड़ी लगा दी है. ये सिर्फ पिछले चार सालों में पूर्ण बहुमत आने के बाद हमारे गठबंधन में आने के बाद हुआ है. लेकिन जो तानाशाह लोग बैठे हैं केंद्र में..उनको कभी पसंद नहीं आता है कि कोई आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक, वंचित समाज का बेटा आगे आ रहा है और अपने झारखंड के लिए काम करना चाहता है तो इन लोगों को बर्दाश्त नहीं होता है.
झारखंड मे सबसे ज्यादा सरकार में समय बीजेपी ने लिया है. पिछले 20 सालों से इनका कोई नाम नहीं हुआ. आज जब एक आदिवासी मुख्यमंत्री बन गया, झारखंड की जनता के लिए काम करने लगा तो ये लोग सोचने लगे कि ये तो बोका है. इससे कुछ नहीं होगा. आदिवासी का बच्चा है इसे क्या समझ में आएगा. लेकिन आज मैं गर्व से कह सकती हूं कि आपका अपना भाई जब कोरोना काल था उस वक्त हेमंत सोरेन ने ही दूसरे राज्यों से प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज से, ट्रेन से अपने राज्य बुलवाया. उस वक्त केंद्र के किसी मंत्री ने आगे बढ़कर काम नहीं किया. सबने कोरोना के समय खिड़की दरवाजा बंद कर लिया. कहीं कोरोना ना हो जाए. लेकिन आपके अपने बेटे ने खुद की जान की परवाह नहीं करते हुए मजदूरों को बुलवाया. ये वो बेटा है हेमंत सोरेन. जिसने आपको तब देखा जब कोरोना काल में आपको देखने वाला 2 साल तक कोई नहीं था. उन्होंने दूसरे राज्यों में भी कोरोना काल में ऑक्सीजन सप्लाई करवाया. एक इसांन जिसको अपनी जान की परवाह नहीं इसलिए परवाह नहीं क्योंकि उसका अपना राज्य भूखे ना सोए. अपनों से बिछड़ने का तकलीफ ना सहे. इनको ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं था क्योंकि इनका खून आदिवासी का है. हम तो बहुत खुशनसीब है कि इनके पिताजी दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने उस समय नंगे पांव बिना किसी संसाधन के महाजनों के खिलाफ अपना मोर्चा खोला था. बहुत छोटी सी उम्र थी इनकी. उस वक्त उनके (शिबू सोरेन) पिता की हत्या कर दी गई. क्योंकि उन्होंने महाजनों के खिलाफ आवाज बुलंद किया.
हर मोड़ पर झारखंड को संघर्ष करना होता है
ये झारखंड ऐसा राज्य हो गया है जहां हमें हर समय हर मोड़ पर संघर्ष करना पड़ता है और केंद्र सरकार आज भी हमारे साथ वहीं कर रही है. यही केंद्र सरकार है जब हेमंत सोरेन की सरकार बनी तो झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार किया गया. जहां गैर बीजेपी शासित राज्य है वहां सारी योजनाएं लागू होती थी. पूर्व की बीजेपी सरकार में सारे पैसे खत्म हो गये. कहां गया पैसा अभी तक पता नहीं चला. ये लोग कहते हैं हमने 5 साल पूरा किया. लेकिन हम कहते हैं कि इस पांच साल में आपने क्या किया. कभी यहां के लोगों के बारे में सोचा. ये भाजपा वाले देश में सिर्फ एक ही नेता रहने देना चाहते हैं. उनकी उन्नति के बारे में सोचा. ये बीजेपी वाले देश में सिर्फ एक ही पार्टी चाहते हैं. देश में सिर्फ एक ही व्यापारियों को आगे बढ़ाना चाहते हैं. एक ही राज्य भाषा संस्कृति को उन्नति देना चाहते हैं. एक-एक रट लगाने वाले को देश में एक समान न्यूनतम मजदूरी लगाने में दिक्कत है. एक समान शिक्षा उपलब्ध कराने में दिक्कत है. हमारे जितने हक अधिकार है उसको एक समान सारे राज्यों में देने में दिक्कत है. आप इस चुनाव में अपने वोटों का सही उपयोग कीजिए. क्योंकि ये पांच साल में एक बार आता है. ये जो तानाशाह सरकार आपके सामने खड़ी है. अगर फिर सत्ता में फिर बीजेपी आएगी तो ये लोग झारखंड को फिर पिछड़ा बना देंगे. इन लोगों को झारखंड से प्यार नहीं है. यहां के झारखंडियों से इनलोगों को नफरत है. इनको पसंद नहीं है झारखंड का कोई बच्चा बाहर जाकर पढ़ें.