न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर झारखंड सत्तारूढ़ दल JMM (झारखंड मुक्ति मोर्चा) और कांग्रेस के बीच लोकसभा सीटों के बंटवारें की बात पर सहमति बन गई है लेकिन अबतक इसका आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. इसी बीच लोकसभा चुनाव के तारीखों के ऐलान होते ही राज्य की राजनीतिक दलों में भागमभाग शुरू हो गई है कुछ दिनों पहले गीता कोड़ा ने कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. इसी बीच अब बीजेपी से मांडू विधायक रहे जेपी भाई पटेल ने बीजेपी को झटका देते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया है. इससे पहले जेएमएम से जामा विधायक और पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू और पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने अपने परिवार की पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है.
दुमका सीट में आमने सामने होंगे सोरेन परिवार के सदस्य !
सीता सोरेन के जेएमएम पार्टी छोड़ बीजेपी के साथ मिल जाने से अब कयास लगाए जा रहे हैं झारखंड मुक्ति मोर्टा (जेएमएम) को अब परिवारिक मोर्चे पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि इस बीच यह बातें भी चर्चा में है कि बीजेपी अपने दुमका लोकसभा सीट के उम्मीदवार को बदलकर वहां पर सीता सोरेन को लोकसभा के चुनावी मैदान में उतार सकती है. इधर जेएमएम का गढ़ दुमका लोकसभा क्षेत्र को बचाने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा भी जद्दोजहद में जुटी है खबर है कि दुमका से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेएमएम चुनाव लड़ा सकती है. अगर ऐसा होता है तो सोरेन परिवार के दो सदस्य लोकसभा के चुनावी दंगल में आमने-सामने होंगे.
8 बार दुमका से सांसद रहे शिबू सोरेन
बता दें, हेमंत सोरेन इस वक्त जमीन घोटाला मामले में जेल में बंद है. इस सीट से उनके पिता और जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन 8 बार सांसद रहे है, जो अब बुजुर्ग हो गए है. और ऐसे में यह माना जा रहा है कि वे बार चुनावी मैदान में नहीं होंगे. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सहानुभूति वोट के लिए पार्टी दुमका लोकसभा सीट से हेमंत सोरेन को चुनावी मैदान में उतार सकती है और
कांग्रेस के सीट बंटवारे के फॉर्मूले से जेएमएम असहज
लोकसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान तो हो गया है लेकिन झारखंड महागठबंधन दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर रोज दिन नए-नए फॉर्मूले सामने आ रहे हैं कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं का दावा है कि लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को 7 सीटें मिल रही है वहीं जेएमएम का कहना है कि सीट शेयरिंग को लेकर अबतक यह फैसला नहीं हुआ है. जेएमएम की रणनीति के अनुसार, सीटों का बंटवारे का ऐलान अंतिम समय में किया जाए. लेकिन इसी बीच कांग्रेस की तरफ से आलमगीर आलम का एक बयान सामने आता है जिसमें उन्होंने चुनाव के लिए कांग्रेस को 7, जेएमएम को 5 इसके साथ ही राजद और माले को 1-1 सीट दिए जाने पर सहमति का दावा किया. वहीं कांग्रेस की इस घोषणा से झारखंड मुक्ति मोर्चा असहज है. झारखंड गठबंधन में JMM अबतक को बड़े भाई की भूमिका बताते हुए ज्यादा सीटों का दावा करता रहा है. ऐसे में पार्टी ने भितरखाने में इस बात पर आपत्ति दर्ज कराई है. जिसमें कहा है कि ऐसे में परिणाम के साथ उनकी संगठनिक गतिविधियों पर उलटा असर पड़ सकता है.
आरजेडी का दावा- दो सीटों पर बनी सहमति
चर्चा है कि जेएमएम एक और सीट (हजारीबाग लोकसभा सीट) अपने पाले में करना चाहती है इसके लिए पार्टी ने तय किया है कि चुनाव को लेकर सीटों के तालमेल के लिए अब पार्टी कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के साथ बात करेगी. मगर कांग्रेस हजारीबाग लोकसभा सीट छोड़ने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है. बात करें सिंहभूम (चाईबासा) सीट की तो कांग्रेस ने गीता कोड़ा द्वारा पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के उपरांत इस सीट पर अपनी दावेदारी छोड़ दी है. इसके साथ ही इस सीट पर अब जेएमएम अपना प्रत्याशी उतारेगी. इधर, एक सीट दिए जाने के फॉर्मूले से विपरीत आरजेडी के दो प्रत्याशी चुनाव के लिए पलामू और चतरा में प्रचार करने भी शुरू कर दिए हैं. राजद का दावा है कि चुनाव के लिए राज्य में आरजेडी को दो सीटे दिए जाने पर सहमति बनी हैं.
बता दें, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राजमहल और कांग्रेस ने सिंहभूम से जीत हासिल की थी. बाकी के 12 सभी सीटों पर राजग के उम्मीदवार (11 पर BJP और 1 सीट पर आजसू) ने जीत दर्ज की थी. ऐसे में आइएनडीआइए के सभी घटक दलों पर सीटों की संख्या बढ़ाने का दबाव है. वहीं इस बीर के चुनाव में बीजेपी ने कुल 14 लोकसभा सीटों में से 11 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. जबकि झारखंड महागठबंधन मजबूत प्रत्याशियों का चयन कर चुनावी मैदान में उतारना चाहता है, ताकि परिणाम में उलटफेर करते हुए बीजेपी को झटका दिया जा सकें.