हाल जैनामोड ग्रामीण जलापूर्ति योजना से जुड़े पंचायत वासी पेयजल के लिए कर रहे त्राहि-त्राहि
कृपा शंकर/न्यूज़ 11 भारत
बोकारो/डेस्क:-गर्मी शुरु हुई पानी की तलब बढ़ी कंठ सुखने लगा सूरज की तपिश धरा के नीचे तक के जलस्तर को सोख रहा है. गिरते जलस्तर के कारण सरकार या निजी चापानल, कुंआ दम तोड़ने लगा है. ऐसे में गहराते पेयजल संकट को लेकर आम आदमी त्रस्त है. मुश्किलें और बढ़ाने लगी है. हर और पेयजल को लेकर समस्या विकराल हो गई है. ऐसे में जरीडीह प्रखंड के आठ पंचायतों का हाल बेहाल है. वजह ग्रामीण पेयजल जलापूर्ति योजना का सही से संचालित ना होना है. पेयजल के विभिन्न पानी की तरह पैसा बहा रहा है, फिर भी पंचायत वासियों की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रहा है.
भरपूर पेयजल आपूर्ति बहाल हो इसके लिए दो-दो टंकी सहित मशीन सेट लगा-
पहला फेज का निर्माण नाबार्ड के सहयोग से 2007 में 18 करोड़ खर्च कर इस ग्रामीण जलापूर्ति योजना की नींव डाली गई थी. 2015-16 में इसके दूसरे फेज के लिए करीब साढ़े 9 करोड़ खर्च किया गया. बावजूद इसके यहां के लोगों को प्रयाप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. ग्रामीणों को पानी की कमी ना हो इसके लिए विभाग ने दो-दो पानी टंकी, मशीन शॉप आदि की व्यवस्था की. ताकि लोगों को नित्य दिन पानी मिले सकें. लोगों की मानें तो विभागीय अधिकारियों में कार्य करने की इच्छा शक्ति की कमी दिख रही है. इस कारण लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकने को विवश है. पदाधिकारी अपने कार्य के प्रति संजीदा होते तो महीने में 8-10 दिन पानी गायब नहीं रहता.
ट्रांसफर खराब होने के कारण पानी के लिए मची त्राहि-त्राहि-
जैना पंचायत मुखिया आनंद महतो ने बताया कि यह योजना जब तक बहुपंचायत समिति के हाथ से संचालित हो रहा था. उस समय तक लगभग सब कुछ ठीक था. बाद में इसे लाभुक समिति को हैंडओवर कर दिया गया. कहा कि तुपकाडीह स्थित पंप हाउस में लगा ट्रांसफार्मर खराब है. इसकी मरम्मत को लेकर विभाग का रवैया उदासीन है. दूसरा फेज का संचालन पांच वर्षों तक विभाग को करना है. इसके बाद ही बहुपंचायत समिति को सौंपा जा सकता है. लेकिन विभाग इस योजना को सही तरीके के संचालित करने में नाकाम साबित हो रहा है. कई दिन बीतने के बाद भी पेयजलापूर्ति सुचारू नहीं हो सका. ट्रांसफार्मर मरम्मती का भरोसा दिलाया जा रहा है. इधर लोग पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं. कहा कि संपन्न लोगों ने तो अपने लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर ली है. मरना तो गरीब-गुरबा लोगों का हो रहा है.
विभाग के खाते में है रकम लेकिन नहीं कर सकते खर्च-
बांधडीह उतरी मुखिया दीपिका देवी ने बताया कि जल सहिया के अकाउंट में 4-5 लाख रुपए जमा हैं. लेकिन हम इस रकम को खर्च करने के अधिकारी नहीं है. ऐसे में विभाग पर निर्भर है. जब तक सेकेंड फेज का हैंडओवर बहु पंचायत समिति को नहीं हो जाता, तब तक पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जल सहिया के रकम का उपयोग नहीं कर सकते है. आचार संहिता लागू होने के कारण भी हमारे हाथ पैर बंधे हुए है. चाहकर भी हम कोई दबाव नहीं बना पा रहे है.
सांसद-विधायक चुनाव में व्यस्त, जैनामोड़ जलापूर्ति योजना हो रहा ध्वस्त-
इधर, लोकसभा चुनाव में दौर शुरू है. सांसद जहां लोकसभा चुनाव को लेकर मैदान मारने की तैयारी में व्यस्त हैं. वहीं, विधायक अपनी पत्नी को धनबाद संसदीय क्षेत्र मिली उम्मीदवारी के बाद, जमीन तलाशने में जुटे हैं. ऐसे में क्षेत्र की प्यासी जनता, अपने जल संकट की समस्या समाधान के लिए भगवान भरोसे है.
नई ट्रांसफार्मर में तकनीकी खराबी- जेई
इस संबंध में विभागीय जेई सुनील कुमार ने बताया कि तुपकाडीह पंप हाउस में कुछ दिन पूर्व नया ट्रांसफार्मर लगाया गया है. लेकिन कुछ दिन ठीक चलने के बाद वो ट्रिप कर रहा है. रविवार से जलापूर्ति पुनः बहाल हो. इसके लिए प्रयासरत है