प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-बड़कागांव में कोयले का अकूत खजाना जिले के प्रत्येक नदी घाटों पर फैला बालू का भंडार... खनिज संपदा से समृद्ध हजारीबाग की धरती लेकिन, दशकों से इस खजाने की लूट मची है. जिले की कोलियरियों से रोजाना तकरीबन सौ दो सौ टन कोयले का अवैध खनन हो रहा है. नदी घाटों से भी हर दिन करीब पचास हजार सीएफटी बालू का अवैध उठाव हो रहा है. साइकिल, बाइक से लेकर बड़े वाहनों तक से कोयले को अवैध ढुलाई भट्टों तक की जाती है.या फिर बनारस और बिहार की मंडियों में भेजा जाता है. बालू बेचने के लिए जिले में किसी बालू घाट की नीलामी नहीं हुई, लेकिन गीले बालू से भरे बीसियों ट्रैक्टर और ट्रक रोज शहर से गांव तक सड़क पर दौड़ते मिलेंगे. शहर से लेकर गांव तक खुलेआम बालू और कोयले की बिक्री भी की जाती है. इन सबको रोकने लिए जिले में खनन टास्क फोर्स गठित है. इसमें प्रशासन, पुलिस और खनन विभागों के आला अफसर शामिल हैं. पर वे खनिज संपदा की इस लूट से आंखें फेरे रहते हैं. तमाम पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर दोष मढ़ते हैं, पर इसे कभी चुनावी मुद्दा नहीं बनाते. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या इन काले धंधे में पार्टियों के सफेदपोश भी तो शामिल नहीं. लोकसभा चुनावों के दौरान वोट मांगने आने वाले नेताओं को भी इस सवाल से दो-चार होना पड़ सकता है
जिला खनन टास्क फोर्स की बैठकों में अवैध खनन और बालू परिवहन पर चिंता, फिर भी नहीं रुक रहा धंधा
अवैध खनन व परिवहन पर लगाम लगाने के लिए जिले में खनन टास्क फोर्स गठित है. इसकी हर माह डीसी के नेतृत्व में बैठक में अवैध खनन रोकने पर चर्चा होती है, विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया जाता रहा है. दिखावे के लिए समय-समय पर कोयला, बालू जब्त किया जाता है, लेकिन बड़े पैमाने पर न तो कोयले का अवैध खनन रुका और न ही बालू का. आम जन के बीच यह चर्चा है क्या राजनीतिक पार्टियां बालू और कोयले के इस काले कारोबार को इस बार चुनावी मुद्दा बनाएगी.