रांची : झाड़ू आज बहुत ताकतवर है. जिस झाड़ू ने दिल्ली में बीजेपी साफ कर दिया, वही झाड़ू बाबूलाल थामने तक को तैयार हैं. ये झाड़ू की किस्मत ही है जो दिल्ली की सत्ता तक फिर पहुंच गयी. तो झारखंड में इस बार नहीं तो अगली बार ही सही पर बाबूलाल जी के लिये सत्ता का दरवाजा बन जाये. खैर... सियासी झाड़ू है... सियासत की तरह इसका रंग और ढंग दोनों बदलता है.
वाह बाबूलाल जी वाह... आप तो ऐसे न थे... पर ऐसी बेवफाई की उम्मीद भी न थी. 14 साल के संघर्ष का पटाक्षेप इस अंदाज में होगा ये तो खुद जेवीएम के कार्यकर्ताओं ने भी नहीं सोचा था. लेकिन हो सकता है कि आप बीजेपी की और बीजेपी आपकी जरूरत पूरी कर दे. वैसे भी इवीएम से जेवीएम की भविष्यवाणी तो फेल हो गयी थी. अब बीजेपी में शामिल होने से पहले भी आपने गणित तो लगाया होगा. बंधु तिर्की के साथ साथ हमारी भी शुभकामना ले लिजिये.
देखिये आपने तो माना ही था कि जेवीएम के हिसाब से झारखंड के चुनावी नतीजे नहीं रहे. पर जनाब सरकार को आपका समर्थन तो बिना शर्त के था. फिर ये अचानक आपको मोदी जी की शीतलहर कैसे लग गयी. ये जनता के पल्ले कम पड़ा.
अब जब विलय पर मुहर लग ही गयी है तो, अब तो बस जेवीएम बिकम्स बीजेपी एंड जेवीएम इज इक्वल टू बीजेपी हो ही गया है.
बाबूलाल मरांडी बीजेपी की वो जरूरत हैं जो उस खालीपन को भरेंगे जो चुनाव हारने के बाद बीजेपी में आ गयी थी. पर बीजेपी बाबूलाल की वो जरूरत है जो उन्हें सत्तासीन करने का माद्दा रखती है.