रांची : सत्ताधारी पक्ष के लिए बाबूलाल मरांडी बीजेपी में जाकर कितने मारक और कितने घातक साबित हो सकते हैं, इस बात पर भी राजनीतिक हलकों में चर्चा जारी है. बाबूलाल जब विपक्ष में थे तो, खूब सत्तापक्ष की बखिया उधेड़ा करते थे.
बाबूलाल मरांडी का बीजेपी में शामिल हो जाना एक सामान्य घटना भले ही महसूस हो रही हो, लेकिन यह सामान्य घटना बिल्कुल भी नहीं है. बाबूलाल मरांडी विपक्ष के एक सशक्त नेता रहे हैं. 14 साल अपने बलबूते राजनीति की कई जबरदस्त आंदोलन का नेतृत्व किया. कई मामलों का खुलासा किया. यह और बात है कि परेशान रहे. मगर दूसरे पक्ष को भी चैन से बैठने नहीं दिया.
बाबूलाल मरांडी अब बीजेपी में है शायद नेता प्रतिपक्ष भी बना दिए जाएं तब तो और भी मारक हो जाएंगे, तो क्या सत्ताधारी जेएमएम को बाबूलाल मरांडी की नई हैसियत और नए मुकाम से डर नहीं लगता, जेएमएम को बाबूलाल की कोई परवाह नहीं.
बाबूलाल जमीन से जुड़े हुए नेता है. उन्हें घपले घोटालों को उजागर करने का तरीका भी है और तजुर्बा भी. और अब तो बाबूलाल सदन का भी हिस्सा हैं. बाबूलाल को अब वही पुराना बाबूलाल समझने की भूल सत्ताधारी जेएमएम कांग्रेस और आरजेडी को हरगिज भी नहीं करना चाहिए.