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क्या करें, मरने का wait या मुक्ति का इंतजार? झारखंड की स्थिति देख सहम जाएंगे आप

अस्पतालों में बेड नहीं, श्मशान में जगह नहीं
क्या करें, मरने का wait या मुक्ति का इंतजार? झारखंड की स्थिति देख सहम जाएंगे आप

रांचीः इंतजार, इंतजार और बस इंतजार किजिए...कोरोना का नहीं मरने के बाद मुक्ति का इंतजार किजिए. बीमार होने के बाद अस्पताल में बेड का इंतजार किजिए. क्योंकि हम और आप मिलकर कोरोना को खुली छूट जो दे दी . फिर तो इंतजार करना ही पड़ेगा, क्योंकि हम लापरवाह जो हो गए है. तो आइए एक नजर हम झारखंज में कोरोन के कहर पर डालें... 


कोरोना की दूसरी लहर इतनी ताकतवर हो गई है कि मरने वालों की संख्या लगातर बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में  लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि उऩ्हें मुक्ति कैसे दिलाए, सम्मान कैसे दिलाए. हालात ऐसे है श्मशान से लेकर कब्रिस्तान तक अंतिम संस्कार के लिए लोगों को लाइन लगानी पड़ रही है. कई ऐसे लोग भी जो अपने परिजन के पार्थिव शरीर के लिए अस्पतल का चक्कर काट रहे है. राजधानी के एकमात्र इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में भी वेटिंग ही वेटिंग है. रविवार की देर शाम तक 11 शवों को घंटों इंतजार करना पड़ा. शवदाह गृह के बर्नर में आई खराबी की वजह से 11 शवों को वापस लौटा दिया गया. उनके परिजनों को कहा गया है कि आज का संस्कार नहीं हो पाएगा, इसलिए वे लोग अपने परिजन के शव को वापस ले जाएं. परिजनों के सामने समस्या यह है कि बड़ी मुश्किल से एंबुलेंस लेकर वह शवदाह गृह पहुंचे थे और अब वापस अस्पताल के मोर्चरी में शवों को रखना एक बड़ा कठिन काम है. एंबुलेंस में शव ढोने वाले ड्राइवर के सामने एक बड़ी समस्या यह है कि वह ज्यादा देर तक पीटीईं कीट पहन कर रह नहीं सकते. ऐसे में घंटों इंतजार करना उनके लिए बहुत बड़ी परेशानी का सबब बन गया है. 


पैरवी के लिए सीएम और अधिकारियों से गुहार


पिछले दो दिनों में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 34 कोविड-19 मरीज़ों की मौत हुई है. एसिंप्टोमेटिक और माइल्ड सिंप्टोमेटिक मरीजों का इलाज तो घर पर हो रहा है, लेकिन जिन मरीज़ों की स्थिति नाजुक हैं उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा है, अस्पतालों में बिस्तर ही नहीं बचे. रिम्स के अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप, राज हॉस्पिटल के जनरल मैनेजर मनीष ने साफ कह दिया कि उनके यहां मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं है. लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि इन मरीजों को आगे लेकर जाएं तो कहां जाएं. घर पर ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की सुविधा इतनी आसान भी नहीं है.


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रांची डीसी छवि रंजन का बयान


रांची डीसी ने कहा है कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुसार शवों को जलाने के लिए हरमू मुक्तिधाम स्थित शवदाह गृह का उपयोग किया जा रहा है, इसमें तकनीकी खराबी आने के कारण शवों को जलाने में परेशानी आ रही है रांची नगर निगम इसका संचालन करता है इसलिए जल्द से जल्द ठीक कराने के लिए कहा गया है.


अपील- ऐसे में अब भी नहीं समझे तो शायद माहौल और खराब हो सकता है. इसलिए कोरोना गाइडलाइन का पालन करें. जरूरत न हो तो घर सेब बाहर बिल्कुल भी न निकले, भीड़ वाली जगहों पर जानें से बचे. 


 



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