Thursday, Apr 25 2024 | Time 05:58 Hrs(IST)
 logo img
NEWS11 स्पेशल


क्या करें, मरने का wait या मुक्ति का इंतजार? झारखंड की स्थिति देख सहम जाएंगे आप

अस्पतालों में बेड नहीं, श्मशान में जगह नहीं
क्या करें, मरने का wait या मुक्ति का इंतजार? झारखंड की स्थिति देख सहम जाएंगे आप

रांचीः इंतजार, इंतजार और बस इंतजार किजिए...कोरोना का नहीं मरने के बाद मुक्ति का इंतजार किजिए. बीमार होने के बाद अस्पताल में बेड का इंतजार किजिए. क्योंकि हम और आप मिलकर कोरोना को खुली छूट जो दे दी . फिर तो इंतजार करना ही पड़ेगा, क्योंकि हम लापरवाह जो हो गए है. तो आइए एक नजर हम झारखंज में कोरोन के कहर पर डालें... 


कोरोना की दूसरी लहर इतनी ताकतवर हो गई है कि मरने वालों की संख्या लगातर बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में  लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि उऩ्हें मुक्ति कैसे दिलाए, सम्मान कैसे दिलाए. हालात ऐसे है श्मशान से लेकर कब्रिस्तान तक अंतिम संस्कार के लिए लोगों को लाइन लगानी पड़ रही है. कई ऐसे लोग भी जो अपने परिजन के पार्थिव शरीर के लिए अस्पतल का चक्कर काट रहे है. राजधानी के एकमात्र इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में भी वेटिंग ही वेटिंग है. रविवार की देर शाम तक 11 शवों को घंटों इंतजार करना पड़ा. शवदाह गृह के बर्नर में आई खराबी की वजह से 11 शवों को वापस लौटा दिया गया. उनके परिजनों को कहा गया है कि आज का संस्कार नहीं हो पाएगा, इसलिए वे लोग अपने परिजन के शव को वापस ले जाएं. परिजनों के सामने समस्या यह है कि बड़ी मुश्किल से एंबुलेंस लेकर वह शवदाह गृह पहुंचे थे और अब वापस अस्पताल के मोर्चरी में शवों को रखना एक बड़ा कठिन काम है. एंबुलेंस में शव ढोने वाले ड्राइवर के सामने एक बड़ी समस्या यह है कि वह ज्यादा देर तक पीटीईं कीट पहन कर रह नहीं सकते. ऐसे में घंटों इंतजार करना उनके लिए बहुत बड़ी परेशानी का सबब बन गया है. 


पैरवी के लिए सीएम और अधिकारियों से गुहार


पिछले दो दिनों में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 34 कोविड-19 मरीज़ों की मौत हुई है. एसिंप्टोमेटिक और माइल्ड सिंप्टोमेटिक मरीजों का इलाज तो घर पर हो रहा है, लेकिन जिन मरीज़ों की स्थिति नाजुक हैं उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा है, अस्पतालों में बिस्तर ही नहीं बचे. रिम्स के अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप, राज हॉस्पिटल के जनरल मैनेजर मनीष ने साफ कह दिया कि उनके यहां मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं है. लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि इन मरीजों को आगे लेकर जाएं तो कहां जाएं. घर पर ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की सुविधा इतनी आसान भी नहीं है.


ये भी पढ़ें- जानें झारखंड की अब तक की 5 बड़ी खबरें


रांची डीसी छवि रंजन का बयान


रांची डीसी ने कहा है कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुसार शवों को जलाने के लिए हरमू मुक्तिधाम स्थित शवदाह गृह का उपयोग किया जा रहा है, इसमें तकनीकी खराबी आने के कारण शवों को जलाने में परेशानी आ रही है रांची नगर निगम इसका संचालन करता है इसलिए जल्द से जल्द ठीक कराने के लिए कहा गया है.


अपील- ऐसे में अब भी नहीं समझे तो शायद माहौल और खराब हो सकता है. इसलिए कोरोना गाइडलाइन का पालन करें. जरूरत न हो तो घर सेब बाहर बिल्कुल भी न निकले, भीड़ वाली जगहों पर जानें से बचे. 


 



अधिक खबरें
महुआ के 'फूलों की खुशबू' से गरीबों के जीवन में आ रही 'खुशहाली'
अप्रैल 08, 2024 | 08 Apr 2024 | 1:56 AM

हजारीबाग में मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में जंगलों में महुआ के फूल गिरने लगते हैं. इन्हें इकट्ठा करने के लिए लोग मार्च से मई महीने में करीब 15 दिनों तक जंगल जाते हैं. इस दौरान महुआ के फूलों को चुनने के लिए पेड़ के नीचे की जमीन को साफ करने के लिए सूखे पत्तों में आग लगा दी जाती है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा से खास बातचीत, बेबाकी से रखी अपनी बात
अप्रैल 05, 2024 | 05 Apr 2024 | 9:36 AM

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने आवास ऋषभ वाटिका में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र की राजनीति के अलावे देश के बड़े मुद्दों पर अपनी राय रखते हुए मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. कहा कि 1984 में भले ही हजारीबाग संसदीय क्षेत्र की जनता ने मुझे महज 10 हुजार 727 वोट दिया लेकिन मुझे इन वोटों के साथ एक निर्वाचन क्षेत्र मिल गया. मैं जब चाहूं हजारीबाग में भाजपा को दो फाड़ कर सकता हूं. इन 40 वर्षों के अपने इ

महुआ बन रहा ग्रामीणों के आर्थिक संरचना का आधार: बिचौलियों के कारण नहीं मिल रहा ग्रामीणों को उचित मूल्य
मार्च 28, 2024 | 28 Mar 2024 | 11:25 AM

झारखण्ड के दक्षिणी छोर पर बसे सिमडेगा की मुख्य आर्थिक संरचना वन उत्पादों पर आधारित है. कल कारखानों से रहित इस जिले मे मुख्य जीविका वनो से निकली उत्पादो पर ही अधारित हैं इन मे से सबसे महत्वपुर्ण उत्पाद महुआ है.

Summer Vacation: अगर आप भी गर्मी में कर रहे है घूमने का प्लान तो जरूर विजिट करें देश की ये बेस्ट जगहें
मार्च 18, 2024 | 18 Mar 2024 | 1:20 AM

हमारा भारत एक ऐसा देश है जहां हर मौसम में घूमने के लिए जगह बदल जाती है. अब लोगों को लगभग लगभग ठंड से राहत मिल गयी है. वहीं अब गर्मी का मौसम आने वाला ही है. ऐसे में लोग अभी से ही गर्मियों की छुट्टी में घूमने का प्लान बना लेते है. अगर आप भी घूमने का प्लान बना

महिलाओं को सफर में नहीं लेना होगा टेंशन क्योंकि अब साथ है 'मेरी सहेली'
मार्च 15, 2024 | 15 Mar 2024 | 3:21 AM

दिन-ब-दिन महिलाओं के साथ अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं. ट्रेन हो या चाहे बस कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है. ऐसे में सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई तरह की योजना लाई जाती है. मेरी सहेली योजना भी एक ऐसी योजना है, जिसमें महिलाओं को यात्रा के समय सुविधाएं दी जाती है.