हजारीबाग में कोयले की तस्करी को भी पीछे छोड़ चुका जीटी रोड पर पशु तस्करी का कारोबार
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: यूपी-बिहार से बंगाल तक के सफर में गौ तस्करी के कारोबार के लिये हजारीबाग से गुजरनेवाले जीटी रोड के चौपारण, बरही, बरकट्ठा और गोरहर थाने सेफ जोन बन गए है. इन थाना क्षेत्रों से पासिंग लेकर गौ तस्करी के कारोबारियों के सैकड़ों वाहन गुजरते हुए बंगाल और फिर वहां से बंगलादेश पहुंचते है. यह कारोबार इतना बड़ा हो चुका है कि इसने कोयले को भी काफी पीछे छोड़ दिया है. करोड़ों की वसूली का एक बड़ा जरिया बन गया है, जिसमें कई राज्यों के सिंडिकेट जुड़ गए है. दुधारू पशुओं के साथ अवैध गौ तस्करी का यह कारोबार संचालित है, जिसमें मवेशियों का ट्रांसपोटेशन करनेवाली संस्थाओं की आड़ में यह गोरखधंधा चल रहा है और इसमें बैनर चल रहे है. जिसके सहारे थानों से ऐसे वाहनों को पासिंग मिल जा रही है.
भगवान के नाम पर बांके बिहारी नाम रखकर इसे कलंकित कर रहे हैं, धन के पिपासु. यह कागजात मवेशियों के मौत पर दस्तखत के सामान है. गौवंशीय जानवरों से लदे सबसे अधिक हर दिन 50 से 60 पिकअप निकलते है. उसके बाद एक माह में 300 ट्रक और 15 से 16 कंटेनर गुजरते है. कंटेनर (मवेशी 80) की ढाई लाख प्रति गाड़ी, ट्रक (मवेशी 40) की डेढ़ लाख प्रति गाड़ी इंट्री मिलती है. जबकि 407 पिकअप (14 से 15) को 70 हजार में इंट्री दी जाती है. यह इंट्री चोरदाहा से मैथन, बंगाल तक के लिए होता है, जिसमें हजारीबाग, गिरिडीह और धनबाद के थानों के अलावे जीटी रोड पर बरही 01. बगोदर 02, राजगंज 01, गोविंदपुर 01 कुल पांच डीएसपी ऑफिस भी है. हजारीबाग का सिंडिकेट और पुलिस का सिंडिकेट चलाने का जिम्मा एक पुलिस अधिकारी को गौ तस्करों ने दे रखा है.
बताया जाता है कि उस पुलिस अधिकारी ने चौपारण में रहते हुए गौ तस्करी के व्यवसाय को सेफ रूट देने में महारत हासिल की थी और जो प्रगाढ़ संबंध अवैध कारोबारियों से उनके बने, उन्हें यहां से विशेष तौर पर ले वहां जाया गया. झारखंड के जीटी रोड के सेफ जोन बनाने वाले ही यह दुष्प्रचारित कर रहे हैं कि साहब का वरदहस्त है और माह में रकम के साथ-साथ गिर नस्ल की गाय का भी तोहफा दिया है. उनके इस दुष्प्रचार से पुलिस की छवि खराब हो रही है, जिसमें जीटी रोड के थानेदारों और यहां के अन्य अधिकारियों के रूख उसे और धूमिल कर रहे है. क्योंकि एक तो ऐसे वाहनों की सूचना मिलने पर कार्रवाई नहीं होती, दूसरा पकड़े जाने पर केस दर्ज होने में कई-कई घंटे लग जाते है.